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संशयितश्लोकाः ।
तुङ्गं वेश्म सुताः सतामभिमताः संख्यातिगाः संपदः कल्याणी दयिता वयश् च नवमित्यज्ञानमूढो जनः । मत्वा. विश्वमनश्वरं निविशते संसारकारागृहे
संदृश्य क्षणभङ्गरं तदखिलं धन्यस् तु संन्यस्यति ॥२५३॥ वृषा शुष्यत्यास्ये पिबति सलिलं खादु सुरभि
क्षुधार्तः सञ् शालीन् कवलयति मांसादिवलितान् । प्रदीप्ते रागानौ सुदृढतरमाश्लिष्यति वधूं
प्रतीकारो व्याधेः सुखमिति विपर्यस्यति जनः ॥ २५३ ॥ त्रैलोक्याधिपतित्वमेव विरसं यस्मिन् महाशासने
तल् लब्ध्वाशनवस्त्रमानघटने भोगे रतिं मा कृथाः ।
BIS. 2553 (1030) Bhartr. ed. Bohl. 1. 61. Haeb. 64. lith. ed. II. 52. Satakãv. 70 ; SRE. p. 166.594; SHV. app. I f. 11b. 22; SM. 1376; SN. 246 ; SLP. 4.94 (Bh.).
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252_ {V } Found in S [ Also ISM Kalamkar 195 V 19; Punjab 2885 V 19 ; NS3 V20.] – “ ) G+ M+ संख्याधिकाः ; Ms. 5 संख्याधिगाः. -- 3 ) Y: वनिता ( for दयिता). X G4 M1.5 वपुश्व; Yr पयश्च ( for वयश्च ). e) Wst Y2.3 अनीश्वरं. X2Y1G2.3 निवसते. d) W+ संदृश्यं. W1.2 त्वदखिलं ; X1.5.0 G 2.3 सुखमिदं ; Y2 तदितरं ( for तदखिलं ). X 2 धन्यास्तु : Y: धीरस्तु X T3 संन्यस्यते ; Y: स न्यस्यति.
BIS. 2578 (1039) Bhartr. ed. Bohl. 3. 21. Haeb. and Galan 18, lith, ed. I. 19; SSD. 4. f. 23a.
253_ {V} Om. in F1 W NS1.2. - a ) D तृष्णा तुध्य (om. from त्यास्ये up to सम्शा in '); F5 तृषार्तः सन्प्राणी ; Ji तृष्णा शुष्यत्यास्ये; X पिपासुश्चेत्कश्चित्; Go मृषा शुष्यत्यास्ये ( for तृषा शुप्य ). A1.2 C Eo. 5 शलिलं. Aot Ba Es स्वादु सुरभिः; C Ft. v. J M4. 5 शीतसुरभि (J1 °भिः); X Y T G M1-3 शीतमधुरं - 1 ) Jit क्षुधार्थं ; Jic. at क्षुधार्थ: DF5 Y1, 5 T2. 3 M3. + सञ्चालि; J1, 20 Y2.0.8T1G4. 5 M1. 2 शाल्यन्नं; Jat 3 सः शाल्यं; X3 G1.2 सशालीं. Y+ सम्शार्क ; Y7 सन्खारिं. Est कुवलयति. AEHF tv. I J 1 शाकादिवलितान्; B मांसाकव ; C मांसेन कलितान्; D साम्राज्यकलितान्; F2 सस्यादिफलितान्; F3 शाकादिफलतः ; FX1 Y1. 4-8_T_G2-6_M8 मांसादिकलितं (X1 ° तानू ); J 2. 3 चान्नं कवलितं ; X2 सूपादिकलितान्; X2 माषादिकलितं ; Y3 मांसाज्यकलितां ; G1 M1. 2. 4 शाकादिकलितं ; M5 शाकाद्यनुगतान्. " ) D F+t.v. 58 (except Gs; Wom.) कामाग्नौ; Ji माराग्नौ (com. माराग्नौ - कामरोगाग्नि ). C घननिबिडम्; Eot सुहृदतरम्. S (except X1 Y3G5; Wom.) आलिंगति ( for आश्लिष्यति ). C वधूः ; X1 वधुं - 4 ) HJ G2.3 प्रतीकारे; F+ YT G1. 4. 5 M° कारं Eo. 3-5 F2. 3. 5 I J1 X X1.2.4.0.7 G 2.3 सुखमिव. Es विपर्यस्यति बुधः ; G1 M1-3.5 विपर्येति कुजनः.
BIS. 2596 (1050) Bhartr. lith. ed. I. 3. 95, II. 85. Schiefner and Weber p. 25; Sp. 414S; SRE. p. 371. 131; SBH. 3387; SKM. 131. 72 ( Bhattajayanta); SM. 1446; SSD. 4. f. 18a; SSV. 1431.
254 { V} Found gonerally in N; omitted in S ( but Syngeri 309 V 70 ) BORI 329, Punjab 2101, and NS2; NS3 V 116 (extra). This is often taken
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