________________
૪
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
गङ्गातरङ्गकणशीकरशीतलानि विद्याधराध्युषितचारुशिलातलानि । स्थानानि किं हिमवतः प्रलयं गतानि यत् सावमानपरपिण्डरता मनुष्याः ॥ २३८ ॥ गङ्गातीरे हिमगिरिशिलाबद्धपद्मासनस्य
ब्रह्मध्यानाभ्यसनविधिना योगनिद्रां गतस्य । किं तैर्भाव्यं मम सुदिवसैर्यत्र ते निर्विशङ्काः संप्राप्स्यन्ते जरठहरिणाः शृङ्गमङ्गे मदीये ॥ २३९ ॥ गजभुजंगविहंगमबन्धनं शशिदिवाकरयोर्ग्रहपीडनम् । मतिमतां च समीक्ष्य दरिद्रतां विधिरहो बलवानिति मे मतिः ॥ २४० ॥
2) C
-कर-;
238{V} Om. in BORI 326, BORI 329 and Punjab 2101. Xit -गण-; Y1 -भव-: Ya Tic.v. घन-; G1 M1.2 -हिम- ( for -कण ). As om. wrongly the second pada. c) A सानूनि ( for स्थानानि ). (d) B येनापमान -; CF2 येनावमान - ; F1 यच्छोचमान-; It यत्सावधान-; Ic यत्सेव्यमान; Ji यत्साधुमान J1 M4 - तरा ( for - रता ).
BIS. 2053 (807) Bhartr. ed. Bohl. 3. 25. Haeb. and Galan. 22. lith. ed. I. 23, II. 63 ; SRB. p. 97.8; SRK. p. 78. 3 (ST.).
239 {V} Om. in W. - “ ) G1 M1-1 गांगे तीरे. Ao हिमगिर A2 F2. ≠ - पद्मासनस्थ- (A2 'स्थो ). - 2 ) CF 1. 2. 4 X Y 1t. 3 'ज्ञाना' (for 'ध्याना' ). J3 -[ अ ]ध्यसन-. Eat.st - रभसा (for - विधिना ). F2 J1 निद्रा; Ma मुद्रां (for निद्रां ). - ( ) F3 ते ( for तैर् ). Gs साध्यं (for भाव्यं ). Y1B हृदि (for मम ) . JYTG1-3M येषु ते (J1 तैर्; J3 ये ); T2.3 एषु ते (for यत्र ते ). B1 F2 निर्विशंकं - ") A2 Bo. 30 ( and Ee ) F 2.3 संप्राप्यते; CF1. 4 H I J S ( Wom.) कंडूयंते ( for संप्राप्स्यन्ते ). B2 DEo 25X2 Y18.3 1M1. 3–5 जठर-; C G2.3 M2 जरढ- ABD E F 2.3.5 शृंगडू विनोदं ( Fot °दा:; F3 °दै: ) ; XY2. +6 T G1. 1. 5 M स्वांगमंगे (Gs के ) मदीये.
BIS. 2054 (808) Bhartr. lith. od. I. 3. 92. Schiefnor and Weber p. 24. Säntis. 4. 17. Haeb. p. 428; SRB. p. 369. 65; SDK. 5. 60. 2 (p. 317, Kṛṣṇa); AMD. 130; Hemacandra's Kavyānusāsana 2 (KM. 71, p. 80); SM. 909; SSD. 4. f. 30a; SSV. 891.
240_ {N} Found in S [ Also ISM Kalamkar 195 N99 ( 101 ) ; Punjab 2885N94 (85) ; NS3 N117 ( extra ) . ] Order in Ys, bacd. " ) W गजभुजं - गमयोरपि ; Gst गजविहंग भुजंगम . - ' ) Y 2 गृह- (for ग्रह-). .) WYs T1 विलोक्य; Y3 T3 निरीक्ष्य.
Jain Education International
+
BIS. 2060 (811) Bhartr. ed. Bohl. 2. 87. lith. ed. I. 89. Galan 92. Nitiprad. 4. in Haeb. 526. Panic ed. Koseg. II. 20. od. Bomb. 19. Hit. ed. Sehl. I. 45. ed. Johns. 52. Vikramaca. 262; Sp. 443; SRB. p. 92. 68; SBHI. 3125; SRK. p. 171. 14; Tantrākhyāyikā II. 8; SHV. f. 64b. 671, 80a. 66; SSD. 4. f. 2b; JS. 263. 1 (baed).
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org