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संशयितश्लोकाः। कर्षन्ति भूरिविषयाश् च न लोभपाशा
लोकत्रयं जयति कृत्स्नमिदं स धीरः ॥ २३० ॥ कान्तेत्युत्पललोचनेति विपुलश्रोणीभरेत्युन्नम___ पीनोत्तुङ्गपयोधरेति सुमुखाम्भोजेति सुभ्रूरिति । दृष्ट्वा माद्यति मोदतेऽभिरमते प्रस्तौति विद्वानपि ___ प्रत्यक्षाशुचिपुत्रिकां स्त्रियमहो मोहस्य दुश्चेष्टितम् ॥ २३१॥ किं कूर्मस्य भरव्यथा न वषुषि क्ष्मां न क्षिपत्येष यत्
किं वा नास्ति परिश्रमो दिनपतेरास्ते न यन् निश्चलः। . किं चाङ्गीकृतमुत्सृजञ् जन इव श्लाघ्यो जनो लज्जते निर्वाहः प्रतिपन्नवस्तुनि सतामेतद् हि गोत्रव्रतम् ॥ २३२ ॥
BIS. 1626 (633) Bhartr. ed. Bohl. 2. 76. Haeb. 77. lith. ed. I. 105, II. 107. Galan 108; SRB. P. 78. 12%3; SRK. p. 15. 47 (Prasangaratnavali); SK. 2.813 SSD. 2. f. 99b; JSV. 173. 5.
231 {S} Om. in B I F1.2 M4.5 Mysore 582 Jodhpur 1.3 NS2 BORI 329%; extra in Punjab 2101. - ") H पृथुल (for विपुलं). E1 (orig.) F5 Y3 -श्रेणी(for -श्रोणी-). C उज्वलत्; F3. it.v.5 W उत्सुकः (for उन्नमत्-). -") Fit.v. समुखा. भोगेति. -- ) Est मद्यति मोद्यते. Hst J W2-4 []ति; WI Yo च ( for [भि-). Ji प्रस्तौतु. W जानन् (for विद्वान्).-4) F3 पूतिकां; W+ पूत्रिकां; Yi(printed text only). +-8. Ti(e.v. as in text).2 G (G2.3c.v. as in text) M1-3 °भस्त्रि(Gh 'स्त्र)कां; Ts
पुत्रिभ- (for पुत्रिका). Ji W2-4 मोहश्च; Y3 होमस्य (for मोहस्य). [E com. कान्त etc. n.s vocative and reads अत्युत्पल' etc. up to अतिसुभ्र ].
___BIS. 1633 (635) Bhartr. ed. Bohl. 1.72. Haeb. 75. Prabodhacandrodaya 4. 8; SRB. p. 250. 19 ; SSD. 4. f. 21b; SMV. 26. 5; JSV. 131. 3.
232 {N} Om. in s (but Y3 N71) BORI 329 NS3 and Harilal's lith. ed, -4)Y उरिक्षपनेष (for न क्षिपत्येष). Eo. 1. 8. I एव (for एष). Eo.1. Fs Y3 यः (for यत्).-") D E (except Est) यो; Y3 वै (for यन्). J निश्चयः; J3 निश्चलं.-.) B DJ Fतु (for च). J अर्थी- (for [अङ्गी-). J2.3 -कृतवान् (for -कृतमुत्). Com.; D Fb -सृजेन: J2.3 -सज (for -सृजन ). A. om.; B सुमनसः; न मनसां; D Eo. 1. 3.5 I न मनसा: Eat.v. तु मनसा; E2 सुमनसा; Fजन इत: F3 च मनसा: F4 जनवर-3; Fs न सहसा Ho.v. समनसा J2 जनमनं: J3 जनमनः; Y3 स्वमनसा (for जन इव). J2.3 श्लाघ्यं (for श्वाघ्यो). CEat लज्जता; F2 J1 लज्यते. -4)C निर्वाहं; F3 नैवं हि. B1 वस्तुनि स तान: F1.4 Y3 °वस्तुषु सताम् ; Jit 'वस्तुविनताम्. F1 एकं हि गोत्रव्रतं; F3 एतत्सतां चेष्टितं; J3 एतद्धि गोनं.
BIS. 1737 (672) Bhartr. ed. Bohl. 2. 69. Haeb. 101. Satakāv, 92. Subhash. 316; SRB. p. 53.269%3 Mudrāraksasa II. 183; SKG. f. 17b.
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