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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रह विरयति न चैनं राजयक्ष्मा शशाङ्क
हतविधिपरिपाकः केन वा लकनीयः ॥ २०९ ॥ अशीमहि वयं भिक्षामाशावासो वसीमहि । शयीमहि महीपृष्ठे कुर्वीमहि किमीश्वरैः ॥ २१० ॥ असितात्मा सुसंनद्धः समाविष्कृतचापलः ।
भुजंगकुटिलस् तस्या भ्रूविक्षेपः खलायते ॥ २११ ॥ असूचीसंचारे तमसि नभसि प्रौढजलद
ध्वनिप्राशंमन्ये पतति पृषतानां च निचये ।
(X1°री) कान्तियुक्तोपि चन्द्रः - .) Y विहरयति; Y: तदपि च; Y: M4. विसृजति न; Gi Ma ग्लपयति च; Mi.2 परिहरति. Y2 Gयदेन;Y3 वियुक्त; Y: M4,5हि चैनं GiMs तथैनं.x भवत विगतरश्मिर्मण्डलं प्राप्य भानोः परसदननिविष्टः को लघुत्वं न याति (for cl).
BIS. 551. Canakyanitidarpama 15. 14 ; SRB. p. 93. 84 ; SSD. 4. f. 3a.
210 V} Om. in AEJ NS1 and Adyar XXIX-E-2 (E3.4 Punjab 2101 extra).-.) B भुंजीमहे; FHic. Y1. G2C. 3-5 अनीमहि; X आसे(X. शे)महे: Wit Ya आशीमहि, Gat अश्मीमहि. --- ") B1 वासावासो; B2 पासावासो; T3 यशोवासो; Ms आशावासं. F2.5 W (except W1) X1 वशीमहि. - °) X शयीमहे; Y1 शयामहि: Gs शय्यामहि. E महीपीटे.-")X1 कुर्वेमहि; Get कुर्मीमहि. D किमैश्वरैः M. 5 महीश्वरैः. ____BIS. 726 (270). Bhartr. ed. Bohl. lith. ed. III. and Haeb. 3. 50. lith. ed. I. 47, II. 29.Subhash. 319. Sp. 4104 (Bh.);SRD. p. 367.73 Prabandhacintamani 4. 180 commentary on Candraloka 6. 13; SS. 36. 14. (var); SK.7.15%; SU. 1003 (Bh.); SSD. 2. f. 111b; JSV. 144. 4.
21 {3} Om. in S. Found generally in N. -4) अस्थिरात्मा; Es असितात्मा. A F3.5 J समुन्नद्धः; Eo.at.tससंबंधः; E1. 3.5 (and Ec) F1 सुसंबद्धः. -°) A समाकर्षित-3 B Eo.1F1H समाविःकृत-; F समाधिकृत; Jit समाविश्रत- I-चापलं.-.)F अभङ्गः (for भुजंग-). B1 तथा: E (Eat. it as in text) Ps. J तन्व्या (for तस्या ), - 0 केशपाशः (for भ्रविक्षेपः). ____BIS. 781 (292) Bhartx. in Schiefner and Weber p. 22. litlr. ed. II. 1.73; SR.B. p. 258. 53 (Urjita); SBH. 1490 (0rjita); SLP. 5. 11 (Bh.)..
212 {5} Om. in C D. Ya fol. missing. -- 4) A0-2 Ba Ea. अशूची; PHशुची F2.3 अशुभे; Y असूचिः; Y4.6 प्रसूते; C2 असूचे; G3 आसूचेः; G: प्रसक्ते; असुर्य (for असची-). Eat.3.5 F1.2.5 Hit It W Y1B.4.5 G4 संसारे; M1.5 -संपाते. (Esc gloss संसारसंचार). G1 किमसि; G+ मनसि (for तमसि). F1 नमभि- Y विपुल- G नहसि (for नभसि). F4 प्रौढजलदे; Ji प्रौढजललः;Y व्यूढजलद.. -°) A EX-ध्वनिप्रादुर्भाव B-ध्वनिप्राज्ञे मन्ये; F1. 3.5-ध्वनिप्रायं (F5°ये) मन्ये; Fa-ध्वनिःप्राज्ञे मन्ये H-ध्वनिप्रोंछन्मध्ये J2 -ध्वनिप्राज्ञे पुण्ये; Y1.5 G2c -ध्वनिप्रशंमन्ये; W -ध्वनिप्राप्ते तस्मिन् (for -ध्वनिप्राशं मन्ये). J2 पतित-. B2 पृषतां चैव; Eo.2.5 पृषतां भाव-; E3.4 पृषतां नीर- F3 पृषतां चापि; F दा नीर- W दृषदानीर; X दृषदानां च; M1.2.4 पृषितानां च (for पृषतानां च). G+ पृषतये (for च निचये).-) Y1-8 Ti G5 सौदामन्याः . A विलसतं; Y३ विकसितं; G#विलसिता.-")
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