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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे कृच्छ्रेणामध्यमध्ये नियमिततनुभिः स्थीयते गर्भमध्ये
कान्ताविश्लेषदुःखव्यतिकरविषमे यौवने विप्रयोगः । नारीणामप्यवज्ञाविलसितनियतं वृद्धभावोऽप्यसाधुः __ संसारे रे मनुष्या वदत यदि सुखं खल्पमप्यस्ति किंचित् ॥१९९॥ आयुर्वर्षशतं नृणां परिमितं रात्रौ तदर्धं गतं ___ तस्यार्धस्य परस्य चार्धमपरं बालत्ववृद्धत्वयोः । शेषं व्याधिवियोगदुःखसहितं सेवादिभिर्नीयते
जीवे वारितरङ्गचञ्चलतरे सौख्यं कुतः प्राणिनाम् ॥ २० ॥
199 Om. in NS1. -- a) Hic. sc frænto (for Freedom). Wt fagfaa- (for नियमित-). X Y1.6 G4. 5 नीयते; Y नश्यते (for स्थीयते).. B C D F4.5 JW Y2-3 T G1-3.5 M गर्भवासे; F1.2 H गर्भगर्ते; X Y1 G+ गर्भवास. -') B D Eat F3-5 I JY1. 3-3 T G2-5 M1. 3-5 -विषमो; C W -विषय; X -विषमैर्. F3.5 (orig.) यौवनो. Le F1 Jit विप्रयोगाः; S (except G2.8) चोपभोगः (M°गाः). - ") B Eo. s (and Ec) P1. 3.F H I विलसति (for-विलसित-). C-वचने; D Eat FJ-वसतिर: F-वपुषो (for-नियतं). OF H वृद्धभावे. BD [अ]सारः; F3 [अ]सारे (for [अ]साधुः). Sवामाक्षीणामवज्ञाविहसित (Y1 G2.3 °विलसित- Y2 °विनहत; C -पहसति; D5 -पहसित)वसतिर ; ('T: -वनतिर; cist -वसती) वृद्ध(Gst °त्त)भावोप्यसाधुः. - ") X Y1. 4. 5.7 M2 संसारेस्सिन्'; G1 संसारे सन्- M3 संसारे सा. Eot बनन (१); Eoc वदंतु ( = कथयतु); F1 J3 X: वदति; M३ भवत (for वदत). B सुखलवोप्यस्ति किं क्वापि (for यदि-प्यस्ति). Eat. at X1 स्वल्पमल्पस्ति.
BIS. 1851 (711) Bhartr. od. Bohl. 3. 38. Haeb. and Galan 34. lith. ed. I and III. 35, IL. 94; SRB. p. 89.6%3; SRK.p. 93.7 and p. 99.6 ( Bh.); SU. 1069; SSD. 4. f. 23a.
200 Om. in NSl. S108 (7) extra in BORI 381 of 1884-87. - .) C राज्या ततोध हृतं; Est रात्री तदधं कृतं; I रात्रौ तदर्धीकृतं. - १) F: तस्याधं च; 61 तस्याप्यर्ध-. E20.3.4.5c It कदाचिद;Y परःस (for परस्य). A Fशेषमपरं; E2C. 3.4.50 It अर्धमधिकं; x चार्धमधिकं. A Est Ic Ji.2 W2-4 C3 (orig.) बाल्यत्ववृद्धत्वयोः; Eit It वृद्धत्वबाल्ये गतं [बालत्व- is grammatically correct; but original may have been बाल्यत्व-].-") Eot.st -विदेश. (for -वियोग-). A -दुःखसहितैः; B1 -भोगसहितं; B2 -रोगसहितं; c दुःखकलहैर; E-शोकसहितं; Hic. sc -दुःखबहुलं ; I रोगजनतैर्. B कामादिभियते; C भूपालसे. वारसैः; Hit. 2 क्लेशादिभियते; I दुःखादिभिर्नीयते. - ") Eot F4 जीवेद्वारि-. C_P X -धुहुदसमे; F4 बुद्धदसमं; H1c. Bc -बुहुदचले; W1 चंचलतले; Y -भंगचपले (for -चञ्चलतरे). Et धर्मः (for सौख्यं).
BIS.996 (378) Bhartr, ed. Bohl. 3.50. Haeb.47. Galan 16. lith.ed. II.95. Subhash. 823; SRB.p. 373. 180%; SRK. p. 94.9 (Bh.); SA. 38.6;SS. 50. 12%3 SSY.125SMV. 30.8.
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