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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे स्फुरदीपश् चन्द्रो विरतिवनितासङ्गमुदितः
. सुखं शान्तः शेते मुनिरतनुभूतिर्नृप इव ॥ १९० ॥ किं वेदैः स्मृतिभिः पुराणपठनैः शास्त्रैर्महाविस्तरैः
वर्गग्रामकुटीनिवासफलदैः कर्मक्रियाविभ्रमैः। मुक्त्वैकं भवभारदुःखरचनाविध्वंसकालानलं
खात्मानन्दपदप्रवेशकलनं शेषा वणिग्वृत्तयः ॥ १९१ ॥ आयुः कल्लोललोलं कतिपय दिवसस्थायिनी यौवनश्रीर अर्थाः संकल्पकल्पा घनसमयतडिद्विभ्रमा भोगपूराः ।
Tपृथ्वी; I X वर्या; Y1 G2-4 गुर्वी; Y३ स्वीया; 13 शिष्टा (for शय्या). F. विपुल-; FaJ M विततम् Y G मृदुलम् (for विपुलम् ). F1 -परिधानं. Gभुजतलं. -°) E वा; G+ M1.2.4.5 तु (for च). BCY1Gs [आकाशो. I विजनमनु; Y3 व्यजनयम. A अलिनः (for अनिलः).-") Jit स्फुरज्योतिश्चंद्रो; Jic Xit स्फुरदीपश्चंद्रो;Ya.s T शरच्चंद्रो दीपो. A2 विरतवनिता-- A F+ -संगमुदितं. [A com. उदितं कहतां उत्कट; E com. संगं प्रति उदितः].
-") F सुखःY3-6 TC सुखी; Y सुखे. Et F H2.st शांतं शेते; I शांतश्चेतो. F2 मुनितननुभूतिर; J मुनिरतनुवृतिर्; X मुनिरतनुभूतो; Ys M3 यति(Ys युति)रतनुभूतिर; M1.2.4.5 तनुविभवभूमिर.
BIS. 4772 (2156) Bhartr.ed. Bohl. 3.89. Haeb. 84. lith.ed. I. 87, II.72, III. 85. Nitisamk. 84. Sutakav. 36. Subhash. 314. Sāntis. 4.8 (Haeb. p. 426); SRB. p. 368.54; SDK. 5.62.4 (p. 318, Bhayabhita); SRK.p.296.17 (BIS); SM, 907%; SSD. 4.f.25a; SSV.838.
____191 4) M3 पुराणकथनैः. - ") M3 स्वर्गद्वार-. A -पुरीनिवास-; J1 -कुटीरवास. 13 -फलकैः. C यज्ञक्रिया, M1 धर्मक्रिया.. J-विस्तरैः (Jit.v. as in text). - ") A3 B2 D Eo.2 Wit X मुक्तकं ; C भुक्त्वैक; We.2t. 3. भुक्तैः किं; Y1G2.3 मुक्त्वैवं. A भयभारदुःख-; A3 भुवि भारदुःख-; E F1 भवबंधदुःख- E भुवभारदुःख; E+ (orig.) भवदारदुःख-; F2 भवसार। दुःख-; F3.5JS भवदुःखभार- (X1 भाव com. सृष्टि-). J-भरण- (for -रचना DY3). -विध्वंसि-; J -प्रध्वंस- (Jit 'सि-). A कालानल- Y कल्पानलं.-4)पदं प्रवेश; JX -सुखप्रवेश; Wt-पद(Wit°य)प्रकाश- T2 -पथप्रवेश-(for-पदप्रवेश-). C कठिनैः; FG2. 3.5 कथनं;J-कमलं (for -कलनं). BCF2-5 JY2.3. TIGHEMI. 3-5 शेषैर्वणिग्वत्तिभिः (F t.v. as in text); Y1.4-7 Git.v. शेषैर्वणिग्वर्तनः.
BIS. 1721 (664) Bhartr. ed. Bohl, and lith. ed. I. 3. 72. Haeb, 70. lith, od. II, 74. Galan 66. Subhash. 234; SN. 410.
192 om. in Yr. NS3 V 117 (extra). -") J1 -दिवसास्थायिनी. T3 -स्त्रीर (for -श्रीर).--.) Fis YTHA.2.3 G1-3 M -तटिदिभ्रमा: Fr-तडिदंगरो: F तडिदिभ्रमो; J°तटिन्द्(J3 °टीभं)गरा. भोगभंगाः ; F1.2 I (orig.) JIS (except V1 T3; Yr om.) भोगपूगाः (Ti °गः). F3 भोगवर्गाः; F भोगवर्गः; Fim.v. भ्रविलासः; 6 भोगपूरः; Ja भक्तिपूगाः; J3 भुक्तिपूगाः. - °) M5 कंठाश्लेषोपगृहस्. A3 BYs न रुचिरं; H न हि चिरं; I (by corr.) च न वरं (for च न चिरं). B प्रयुक्तं (for प्रणीतं). -") A2 B1 [आशक्तः Jit [आशक्ति- E2c -वित्ता; Y3°चित्तो (for चित्ता). D Eot. et. 4. et Fe. X2 भवतः
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