________________
भर्तृहरिसुभाषित संग्रहे
एकाकी निःस्पृहः शान्तः पाणिपात्रो दिगम्बरः । कदा शंभो भविष्यामि कर्मनिर्मूलनक्षमः ॥ १८५ ॥ प्राप्ताः श्रियः सकलकामदुघास् ततः किं
दत्तं पदं शिरसि विद्विषतां ततः किम् । सन्मानिताः प्रणयिनो विभवैस् ततः किं
कल्पं स्थितं तनुभृतां तनुभिस् ततः किम् ॥ १८६ ॥ भक्तिर्भवे मरणजन्मभयं हृदिस्थं
m
स्नेहो न बन्धुषु न मन्मथजा विकाराः । संसर्ग दोषरहिता विजना वनान्ता वैराग्यमस्ति किमतः परमर्थनीयम् ॥ १८७ ॥
ری
185 Om. in Jodhpur 3 ; missing in Yr. M निस्पृहः; Go निर्ममः ; F2.3.5 X शांतो. संभो; Eat F2 शंभुर् . -- “ ) Hat - निर्मूलने BIS. 1399 ( 541 ) Bhartr. ed. Bohl. 3. 30. Haeb. 51. Galan 83. Subhash. 314; SBH. 3404; SU. 1012; SM. 912; SSV, 894. cf. Pafic. 5. 15.
a) BD F1.2.5 I Js X Y1 Gst. 4 १) F 2 हविष्याशी (for पाणिपात्रो ). B2 CI F3 क्षमं; Jit "क्षपः.
--
186 Om. in Ujjain 6414. BH order adbc; Ys acbd. - ) Ja प्राप्तश्रियः; Gi प्राप्ताः श्रियं; M2 प्राप्ताश्रयः. B2 शकल- (for सकल ). C - कामजुषस्; Jit काम्यबुधास; G1 Ma -कामदुघां. 1 ) B F3 HJ 1 S न्यस्तं (for दत्तं ). F2 सकल- ( for शिरसि ) ) A3 BE FH G2e. 4 M5 संमानिता:; CJI संतर्पिताः; D संप्रीणिता:; WY 3 - 5. 1. 8 T G8M1. 3 संपादिताः; X Y1 संतोषिताः ; Yo G1. 2. 3 M2 संभाविताः (G2.3 com. संभाविताः संमानिताः ) ( for सन्मानिता: ) W विभवासू. - * ) C X 2 कल्पैः ; DF 1-3 I J W2-4 X1 X 1. 2. 4-8 T G1. 84, 5 M कल्प. W_X2 Y1, 2, 6–4 'I' G1. 3t. 4 M -स्थितास; X1 G2. 30 -स्थितां; Gs - स्थिरं. W तनुभृतस्. W ( W3 lacuna ) X Y 1. 2. 4-8 T G1. +3 M1.2, 40 तनवस्; M3 असवस् ( for तनुभिस् ).
BIS. 4327 (1903) Bhartr. ed. Bohl. and lith. ed. I. 3. 68. Haeb. and lith. ed. III. 66. Galan 62. Nitisamk. 81. Satakav. 105. Subhash. 314; Sp. 4112 (Bh.); SRB. p. 176.949 (Bh.) ; SBH. 3451 ( Bh. ). Sāntis. 4. 2; com. on Candrāloka 2. 34-35; Kāvyaprakāśa 7. 271; Kāvyapradipa (KM. 24, p. 281 ) ; Daśarūpāvaloka on 4. 9 ; Udāharaņacandrikā; Rasaratnahāra; AMD 404. Rasaratnapradipika, f. 24; SS. 55. 4; SU. 1018; SM. 1083; SSV. 1068; JSV. 304. 5.
187) Y7 G1 M2 भक्तिर्भवेन् Wat.st भयं हृदिस्थो; W+ "मयं हृदिस्थं Gs 'विनाशिनी स्यात् (for 'भयं हृदिस्थं ). - ) Jat स्नेहो नु ; Yr स्नेहेन ; M8 देहो न (for स्नेहो न ). Fa वस्तुषु (for बन्धुषु ). W च ( for the second न ). CF4J1 G14 Mi-4 मन्मथजो विकारः (J1 °राः ) ; X Ys मान्मथजा विकाराः. * ) D -राग (for -दोष ). J3 Ma रहितं; x1 'रहितो: Ya रहिते. Ya M3 विजने J3 वनान्तां; X2 वन्मेता (sic); Y2 G1 M8 वनांते. *) Aot Y4-0.8T1B G5 किमितः Eo3-5 F4 (orig.) J W परमा ( W10 'मं )र्थनीयं ( W4 °या); Fa परमार्तयंति.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
-
www.jainelibrary.org