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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
प्रसन्ने त्वय्यन्तः स्वयमुदितचिन्तामणिगुणे
विमुक्तेः संकल्पः किमभिलषितं पुष्यति न ते ॥ १६७॥
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अमीषां प्राणानां तुलित बिसिनी पत्रपयसां
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कृते किं नास्माभिर्विगलितविवेकैर्व्यवसितम् । दाढ्यानामग्रे द्रविणमदनिः संज्ञमनसां
कृतं वीतव्रीडैर्निजगुणकथापातकमपि ॥ १६८ ॥
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भ्रातः कष्टमहो महान् स नृपतिः सामन्तचक्रं च तत्
पार्श्वे तस्य च सापि राजपरिषत् ताशू चन्द्रबिम्बाननाः ।
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विशशि ; E+ दिशसि ; F3 विशदयसि; F + (m.v. as in text ) विशति ; M+ वह सि (for विशसि ). B2D F1. 5 I (orig.) Xin हृदये; Eo. 2 W3 Y3 हृदयं. D - कलिले ; E F + H I J Ys T -कलितं ; F2 - किलिलं ; W1. 20. 3. 40 - विफलं ; Watt Y1B, 1 G+ - विकलं; M3 -सलिलं. © ) CF2. 5 त्वय्येव ; Ga M1.2 स्वय्यर्थे. Gst M1-3 उचित (for उदित ). Aa I (orig. ) Xit Y2 -गणे ; C - गुणैर्; F2 -मणौ; F3.5 I ( by corr. ) J2 W1X 1.3M. 6 गुणो; J1.3 X2tY4-8 TG M1-3 - गणो (for - गुणे ). B यदाढ्यानामग्रे द्रविणमदनिःसंज्ञमनसां [apparently from the next śloka]. - * ) A ( A1 by corr. ) विमुक्ते ; BCF1. JS विविक्तः (G20 विचित्तः; Ga विभक्तः); D Eo. 2. 4. 5 Fm.v. H विमुक्तः; 3-5 विवेक: (for विमुक्तेः ). [ E3 com. विमुक्तेः
मोक्षस्य संकल्पः ]. A संकल्पे; F3 W2 संकल्पं; It संकल्पात्. A2 H3t लखितं; F3 “लिखितं ; Gat °लष्यति ( for लषितं ). F1 पुष्यति न तैः; J3 पोष्यति न ते ; Y: पुण्यतनुते; Ys पुष्यतु न ते.
Gat
BIS. 3975 (1726) Bhartr. ed. Bohl. 3. 62. Haeb. 60. lith, ed. I. 51, II. 32. Subhāsh. 312; SRE. p. 368.45 ( Samkuka); SBH. 534 ( Samkuka) and 3410; SSD. 4. f. 31a.
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168 Om. in C. . a) Aot. 1 B1 E2. 5 F30H - बिशिनी ; Aoc. 2 B2 E3 - बिशनी- ; A3 - विशिनी ; Wat X2 - विसिनी; W3c -विषनी; X1 - विसनी- (for - बिसिनी - ). b) DW X कृतं (for कृते). J1 वास्माभिर् J 10. 2. 3 - विशेषैर् (for - विवेकैर् ). - ) A0-3 यदीशानाम् ; Est
A0-2DI - मोहांध; M1.2 - मनसा. - . * ) W1
Fs यधानाम्; F3. Am. v. यदज्ञानाम्; F+ मदाढ्यानाम् ; Y2 धनाढ्यानाम्. F1.4 (m.v. as in text ) J - निःसंग; X - निःसीम (for - निःसंज्ञ ). G1-3 कृत- ( for कृतं ). B मुक्त: F2. 3 J1c, 2 Y4 T1 1 5 मान-; Jit M म्लान : Ja मानं (for वीत ). Aot J व्रीडं; 'कथापातकमिति.
Wt X Y2-1 T2.3 G1-3 1M बीर्. Fo कथाख्यानमपि; J3
BIS. 526 (197) Bhartr. ed. Bohl. Haeb. lith. ed. I. Galan 3. 7. lith, ed. II. 35; SRB. p. 77. 45; SDK 5 43.3 (p. 306, Dharmakirti ); SRK. p. 67. 10 ( Bh.). Santis. 1. 19 ; SSD. 4. f. 9a
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169 Om. in GVS 2387, probably on a missing fol. in original. ISM. Kalamkar 195. V38 ( सा रम्या ), V89 ( भ्रातः कष्ट ). NS3. V31 ( सा रम्या), V111 (extra, भ्रातः कष्ट). - * ) A F3 भ्रातः कुत्र गतो; F12 भ्रांत कष्टमहो; J: भ्रांतः कष्टमहो; सा रम्या नगरी ( for भ्रातः कष्टमहो ). C गतः ( for महान् ). M+ चक्रश (for -चक्रं ). - 1 ) D F3 Y3 यस्य ( for तस्य ). BCDF 31 ( m. vas in text ).
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Y3 यत् (for तत् ). IcJ S सा विदग्धप
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