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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे दिनस्य पूर्वार्धपरार्धभिन्ना छायेव मैत्री खलसज्जनानाम् ॥ ६२ ॥ भवन्ति नम्रास् तरवः फलोद्गमैनवाम्बुभिर्भूरिविलम्बिनो घनाः। अनुद्धताः सत्पुरुषाः समृद्धिभिः खभाव एवैष परोपकारिणाम्॥६३ ॥ पद्माकरं दिनकरो विकचं करोति
चन्द्रो विकाशयति कैरवचक्रवालम् । नाभ्यर्थितो जलधरोऽपि जलं ददाति
सन्तः वयं परहितेषु कृतालियोगाः ॥ ६४ ॥ यदचेतनोऽपि पादैः स्पृष्टः प्रज्वलति सवितुरिनकान्तः ।
Get दीनस्य; J नरस्य; Ms इनस्य (for दिनस्य). J2 जीर्णाश; Ya°भागा (for 'भिन्ना).-.) Eo I GA a. Bit C Eot F2.+ J W3 X1 Y2.7. 8 G2 (orig. as in text)4,5 U (for खल.).
BIS. 1004 (382) Bhartr. ed. Bohl. 2.50. Haeb 78. Galan 63. Patno. ed. Koseg. II. 38. Subhash. 62 ; SRB. p. 172. 826; SDK. 5. 37. 5-(p. 303, Vacaspati); ST. 3. 383; VS. 362 (Bh.); SU. 1557; SS. 27.33; SL. f. 26a; SSD. 2. f. 125b3; SMV. 13.8%BJSV.217.5%; SKG. f. 17a.
63 ") Eo-2.5 फलोद्गमे; G4 फलोदकर Git.v. फलोदयैर् (for 'द्रमैर). -') Ec न वा अंबुभि: A B D Est F2 X Y३ भूमि-; CYi(printed text).4-8 T G M1-4 दूर-; F3 भूति- YIA मूल्य; Y1B भूम्य (for भूरि-). - ") J3 W अनुभृताः (for छताः).-) X एषो हि (for एवैष).
BIS. 4556 (2029) Bhartr. ed. Bohl. 2.62. Haeb.81. lith. ed. I. 69, II. 71. Galan 72. Sakuntala 109 (V. 13 in Pischel's HOS. ed.); SRB. p. 75. 11; SDK. 5. 39.3 (p. 303, Kalidasa); SRH. 31.33 (Kalidasa); SRK. p. 103.4 (ST.); SSD 2. f.95b%; BPS. 127.
64 4) T3 पद्माकरो दिनकर. C (emendation as in text) D E F. W1. 8.4 X Y1 विकची-(for विकचं). -") C D F1-3 J2.3 W1-3XIY (except Yi) TG M1.8-5 विकासयति; W4 विकातपति; M: []पि कासयति (for विकाश).-°) X नाभ्यर्थितं. AC Est H I तोपि जलदः स(A श)लिलं ददाति. - Y स्वतः (for स्वयं). Fपरहिते सुकृताः तियोगा: FAJY2.4-8 TGM2. परहिते वि(J2नि)हिताभि(T3 °तान: G1 Ms 'तोप)योगा:
Wat.st.at परहिताभिहिताभियोगाःX हितेषु कृताभियोगः3Y 'हितेषु कृतप्रयला:3 Mi हिते विहितप्रयत्नाः M.5 °हिते विहिताभिलाषा:.
BIS. 3909 (1692) Bhartr.ed. Bohl. 2.65. Haeb. 84. lith, ed. I and III. 72. Galan 74; SRB. p. 75. 13 ; SRK. p. 103.6 (ST.); SS. 24. 1; PT. 1.623 SSD. 2. f. 97a.
__65 ) missing in J1. Ba Eot. 1. at यदि चेतनो. J वादि- X3G पाद- (for पादैः). -') G -स्पशैंः (for स्पृष्टः). Eat [अ]पि ज्वलति; YA प्रज्वलतु. C D Fs I JA सवितुरिव कांतः; Est सवितुसूर्यकांतः; W (W4 orig.) सवितुरविकांतः; X1 सवितरिनकांतःX. सवितुरीनकांताः; M+ सवितुरिनकांतं; M5 सवितरि*कांत. - °) Es I यस्तेजस्वी J2 तेसेजसि. पुरुषः om. in XIAB, -) Bi Y1 प्रकृत-; CJ2G परकृति; F G प्रकृक्ति- (for परकत-),
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