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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
दानं भोगो नाशस् तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य । यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ॥ ५० ॥ यस्यास्ति वित्तं स नरः कुलीनः स पण्डितः स श्रुतवान् गुणज्ञः । स एव वक्ता स च दर्शनीयः सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति ॥५१॥ रत्नैर्महार्घेस् तुतुषुर्न देवा न भेजिरे भीमविषेण भीत्तिम् । सुधां विना न प्रययुर्विरामं न निश्चितार्थाद् विरमन्ति धीराः ॥५२॥ सन्त्यन्येऽपि बृहस्पतिप्रभृतयः संभाविताः पञ्चषास् सान् प्रत्येष विशेषविक्रमरुची राहुर्न वैरायते ।
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(d) Ja हि तस्य
50 * ) H2 X विनाशस्; W2-4 नाशश्च ; G4 नाशास (for नाशस् ). (for वित्तख ). - °) Js यो; T3 यन (for यो न ). [ यन is the grammatically correct form, unless one takes तस्य = तस्य वित्तस्य (in 4 ) ] D भुंक्ते; Es न भुक्ते; X1 न हि भुंके ( for न भुङ्क्ते ). Fs यो न दाति न च भुंक्ते. - d) J1 तस्यापि ( for तस्य ). J2 त्रितया ( for तृतीया ). X 1 भवंति.
BIS. 2757 (1134 ) Bhartr. ed. Bobl. 2. 35. Haeb. 63. lith ed. I. 42. Galana 45, Pañe ed, koseg. II. 159. ed. Bomb. 148. Hit. ed. Johns. I. 172. Prasangābh. 7; Sp. 390 ; SRB. p. 69.15; SBH. 478; SRK. p. 63.4 ( Bh.) ; Vikramacaritra 72; ST. 42.5; Prabandhacintānani 5. 264 ; of Tantrākhyāyikā 110 and SA. 18. 5; SHV. f. 70b, 86a; S8. 17. 14; SK. 2. 154; SU. 1498; PT. 6. 8; SN. 463; SSD. 2. f. 135a; JSV. 146. 7; SKG. f. 12a,
51 ) Est यस्यास्थि (for स्ति). Y7 पित्तं (for वित्तं), and तु लीनः (for कुलीनः). Eat F± (t.v. as in text) श्रुतिमान् (for श्रुतवान् ). Ft. v. विनीतः (for गुणशः ). - ") युक्का (for वक्ता). 4) Eot Y1 T9G14 जनाः (for गुणाः ). F12 G14 M1. 2 माश्रयते 1 माहरंति.
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BIS. 5414 (2447) Bhartr. ed. Bohl. 2. 33. Haeb. 64. lith. ed. I. 40, II. 41. Galan 44. Prasangābh. 12. Subhash. 32. Carr. 452. Vikramacaritra 152; Sp. 333 (Bh.); SRB. p. 64. 9 (Bh.); SRK. p. 44. 6 (Bh.); SA. 114. 3; ST. 41. 7; Padyaracana (KM 89, p. 111. 41, Bh.); VS. 306 (Bh.); SHV. f. 67a (Bh.) and 82a; SS. 39. 1; SK. 2. 169; PT. 5. 1; SM. 1155; SSD. 2. f. 105a; SSV. 1141; SMV, 4. 12.
-
52 ) BI महास; D F2 WY1 ( printed text ) महास; Eo at Zat महाथैस; F3 महद्भिस्; J Y2–8TGM महाब्धेस् (for महार्थैस् ). J तु न तुषुर् (sic) (for तुतुषुरू)- 3 ) F2 J3 G4 भीमविशेष- (for 'विषेण). M3 भीतिः. . *) Ws स्वधां (for सुधां ). Y1 नैव मयुर Gst संप्रययुर (for न प्रययुर्), Ys विकास ( for विरामं ). (d) C न निश्चयार्थाद्; E3tFs Jic विनिश्चितार्थाद्; J3 M1.1.0 सु( J3 M1 न ) निश्चितार्था; Y7 सनिश्चितार्थाद् (for न निश्चितार्थाद् ). F + संतः (for धीराः ).
BIS. 5707 (2585) Bhartr. ed. Bohl. 2. 72. Haeb. 65. lith ed. I and III. 79, II and Galan 81; SRB. p. 77. 10; PT. 7. 14; SSD. 2. f. 99a.
53* Om. in BORI 329 and Ujjain 6414. 4) C सत्यन्ये च सत्यं नैव; G4 Yas - प्रभृतिभिः (for तयः ). Eo. 1.5 [ अ ]संभाविनः; Fa D पंचशस; J23 पंचषस्; Ya (m.v. as in text ) निर्जरास: Ta
सत्येवात्र (for सन्त्यन्त्येऽपि ) [ अ ] संभाविताः (for संभा )
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