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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे परिक्षीणः कश्चित् स्पृहयति यवानां प्रसृतये
स पश्चात् संपूर्णो गणयति धरित्री तृणसमाम् । अतश् चानेकान्ता गुरुलघुतयार्थेषु धनिनाम्
अवस्था वस्तूनि प्रथयति च संकोचयति च ॥ १२ ॥ शास्त्रोपस्कृतशब्दसुन्दरगिरः शिष्यप्रदेयागमा
विख्याताः कवयो वसन्ति विषये यस्य प्रभोर्निर्धनाः । तज् जाड्यं वसुधाधिपस्य सुधियो ह्यर्थं विनापीश्वराः
कुत्स्याः स्युः कुपरीक्षकैर्न मणयो यैरर्घतः पातिताः ॥ १३ ॥ विपदि धैर्यमथाभ्युदये क्षमा सदसि वाक्पटुता युधि विक्रमः।
- 12 GVs 2387. N. 7, 22. - १) W2 परिक्षीणं. F2 यवानी- (for यवानां). (W4 com. तुषाय). W4 प्रसृजये: Y? प्रसूतिकां (for प्रसतये). --") A0-2 तत्पूणों: J. संपूर्ण; Ms संपूर्ण (for संपूर्णो). FiJ S (except We Y1.3) कलयति (for गण ). D तृणसम. - ) C अतश्चानेकाा ; D F1 °श्चानेकांतां; Eo.1. 'श्चानेकांतं; F2 J2 W1-3 'श्रानेकांत्याद: FX1 Y1 श्वानेकांत्यं HX2श्चानैकांत्याद: I'श्चानेकांते; J1G5 °श्चानेकांतो:
Wa 'श्चानेकांत्याः Ya श्वानेकांतर (for श्चानेकान्ता). [In most N MSS. तयार्थेष is indistinguishable from तयाघेषु.] - d) A2 अवस्थां. C प्रकटयति; Y१ प्रचयति च (for प्रथयति च).
BIS. 3955 (1713) Bhartr. ed. Bohl. 2. 37. Haeb. 7. lith, ed. I. 44, II. 45. Galan 48. Subhash. 3033; SRB. p.65. 15%B SSD. 2. f. 105b.
13 GVS 2387. N. 9, 23. -- “) It शास्त्रोपप्लुत-; Ic शास्त्रौघप्लुत- (for शास्त्रोपस्कृत-). D शाब्द' (for 'शब्द'). Ft.v. शिष्योपदेशागमा. - ") E2 विष्याताः T3 प्रख्याताः (for विख्याताः). A3 विशंति; Y6.7 T3 भवंति (for वसन्ति). D तस्य (for यस्य). Aot B Eot Ji. 3 W1.2 X2 Y1A प्रभो (for प्रभोर).-") F1.4 Wt (Wat.v. as in text) कवयो (for सुधियो). Bl_P3 J2.3 Y4.5 [प्यर्थ: CYs-8-T1.3 G1.4.5
M त्वर्थ; F2 ह्यर्थैर; W4 (t.v. as in text) येथ; X2 रस्वार्थ (corrupt); Y2 T चार्थ [orig. may have been *अर्थ (with hiatus) after caesura.] Y३ विनाधीश्वराः.
-4) A2.3 B Eo F4. 5 W YIA कुस्साः ; E1. 5 F2 J३ कुत्सा ; Eit.v. निंद्या; G1-3 कुत्स्या (for कुत्स्याः ). B2 D F1-4 H W4 (by corr.) YIA (and printed text).4.5 कुपरीक्षका न; CY कुपरीक्षणे न; W (W4 orig.) कुपरीक्षका हि (W3.4 both c.v. 'क्षकः);XI कुपरीक्षकाश्च (for कुपरीक्षकैर्न). X कुपरीक्षकाश्रमणयो. मनयो; X1 (orig.) मृगयो X1 (by corr.) मृणयो (for मणयो). A B I H Y: अर्थतः, D Eo अर्धतः, F1 J W1.3.4 (orig.) X Y3 अर्ध्यतः; F5 अञ्चितः; G5 (orig.) अर्थितः (for अर्घतः). [It is difficult to distinguish between y and q in most N MSS.].
BIS. 6452 (2980) Bhartr. ed. Bohl. 2. 12. Haeb. 8. lith. ed. I. 14, II and Galan 15. Satakav. 78. Subhash. 303; SR.B. p. 39. 27%3 SRK. p. 2. 2 (Bh.); SK. 6. 4283 SG. f. 33a; SSV.750; SMV. 11. 4. - 14 ) A1.3 Haक्षमाः (for क्षमा). --') D E F2. 4. B H I J2 X YIA. चाभिरुचिर (for 'रतिर). Y: विनयः (for व्यसनं). I श्रुते (for श्रुतौ).
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