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। सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षट्त्रिंश अध्ययन [५२२
खुरवाले-गाय, बैल, भैंसा आदि (३) गण्डीपद-हाथी, ऊँट आदि (४) सनखपद-बिल्ली, श्वान-कुत्ता आदि ॥१८०॥
Four kinds of five sensed quadruped animals-(1) solidungular animals, like-horse, (2) biungular animals, like-cows, bulls etc., (3) multiungular (or of solid circular feet) animals, like elephant, camel etc., and (4) animals having toes with nails like-cat, dog, lion etc. (180)
भुओरगपरिसप्पा य, परिसप्प दुविहा भवे ।
गोहाई अहिमाई य, एक्केक्का ऽणेगहा भवे ॥१८१॥ परिसर्प स्थलचर तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीव दो प्रकार के होते हैं-(१) भुज परिसर्प और (२) उर-परिसर्प। (इनके उदाहरण क्रमशः) भुज-परिसर्प-गोधा-गोह (गिलहरी, चूहा आदि) और (२) उर-परिसर्प-सर्प आदि। इनमें से प्रत्येक के अनेक भेद (प्रकार) हैं ॥१८१॥
Terrestrial five sensed reptiles are of two kinds-(1) moving on arms like-squirrel, rat etc., (2) moves on breast, like-serpent etc. These both are of various kinds. (181)
लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया ।
एत्तो कालविभागं तु, वुच्छं तेसिं चउव्विहं ॥१८२॥ ये सभी स्थलचर पंचेन्द्रिय जीव लोक के एक देश (अंश या भाग) में ही हैं; समस्त लोक में नहीं हैं। इससे आगे अब मैं उन तिर्यंच पंचेन्द्रिय स्थलचर जीवों के काल विभाग का चार प्रकार से वर्णन करूँगा ॥१८२॥
All these five sensed terrestrial animals are in a part of universe, not in whole universe. Now further I will describe the fourfold division with regard to time of these five sensed terrestrial animals. (182)
संतई पप्पऽणाईया, अपज्जवसिया वि य ।
ठिइं पडुच्च साईया, सपज्जवसिया वि य ॥१८३॥ संतति-प्रवाह की अपेक्षा से वे तिर्यंच पंचेन्द्रिय स्थलचर जीव अनादि-अनन्त हैं और स्थिति की अपेक्षा से सादि-सान्त भी हैं ॥१३॥
By continuous flow those five sensed terrestrial animals are beginningless and endless. But regarding individual age duration these are with beginning and end. (183)
पलिओवमाउ तिण्णि उ, उक्कोसेण वियाहिया ।
आउट्ठिई थलयराणं, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥१८४॥ स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों की आयुस्थिति (भवस्थिति) उत्कृष्टतः तीन पल्योपम की और जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त की कही गई है ॥१८४॥
Longest age duration of five sensed terrestrial animals is of three palyopamas and shortest is of antamuhurta. (184)
पलिओवमाउ तिण्णि उ, उक्कोसेण तु साहिया । पुव्वकोडीपुहत्तेणं, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥१८५॥
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