________________
तर सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षट्त्रिंश अध्ययन [५१२
किमिणा-कृमि, सोमंगला-सौमंगल, अलसा-अलसिया, माइवाहिया-मातृवाहक, वासीमुहा-वासीमुख, सिप्पीया-सीप, शंख, संखणगा-शंखनक-॥१२॥ ___worms, saumangala, small snake or earth worm (alasia), matrvahaka, vasimukha, shells, conches, Sankhanaka-(128)
पल्लोयाणुल्लया चेव, तहेव य वराडगा।
जलूगा जालगा चेव, चन्दणा य तहेव य ॥१२९॥ पल्योय-पल्लक, अणुल्लया-अणुल्लक (छोटे पल्लक), वराडगा-वराटक (कौड़ी), जलूगा-जलौक (जोंक), जालगा-जालक, चन्दणा-चन्दनक (अक्ष) (चन्दनिया)-इत्यादि-॥१२९॥ Pallaka, anullaka, cowries, leeches, jalaka., candanaka etc. (129)
इइ बेइन्दिया एए, णेगहा एवमायओ।
लोगेगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया ॥१३०॥ इस तरह अनेक प्रकार के ये द्वीन्द्रिय जीव हैं, वे लोक के एक देश (अंश या भाग) में ही हैं, समस लोक में नहीं हैं, ऐसा कहा गया है ॥१३०॥
Thus, two-sensed movable beings are of several types and they are in a part of univers (loka) not in whole universe, it is said. (Now further I describe fourfold division of two-sensed beings regarding time). (130)
संतइं पप्पऽणाईया, अपज्जवसिया वि य ।
ठिई पडुच्च साईया, सपज्जवसिया वि य ॥१३१॥ संतति-प्रवाह की अपेक्षा से द्वीन्द्रिय त्रस जीव अनादि-अनन्त हैं और स्थिति की अपेक्षा सादि-सान भी हैं ||१३१॥
Regarding continuous flow movable two-sensed beings have neither beginning nor a end but regarding individual age duration they have beginning and end too. (131)
वासाइं बारसे व उ, उक्कोसेण वियाहिया ।
बेइन्दियआउठिई, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥१३२॥ द्वीन्द्रिय जीवों की आयुस्थिति उत्कृष्टतः बारह वर्ष की और जघन्य आयुस्थिति अन्तर्मुहूर्त की है ||१३२॥
Longest age duration of two-sensed beings is of twelve years and shortest is o antarmuhurta. (132)
संखिज्जकालमुक्कोसं, अन्तोमुहत्तं जहन्नयं ।
बेइन्दियकायठिई, तं कायं तु अमुंचओ ॥१३३॥ द्वीन्द्रियकाय को न छोड़कर उसी में जन्म-मरण करते रहने की उन (द्वीन्द्रिय जीवों) की कायस्थिति उत्कृष्टतः असंख्यात काल की है और जघन्य कायस्थिति अन्तर्मुहूर्त की होती है ॥१३३॥
Body duration of two-sensed beings (by continuous births and deaths in the same body is maximumly of innumerable time period and minimumly of antarmuhurta. (133)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org