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७१] द्वाविश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
बाइसम अज्झयणं : रहनेमिज्जं द्वाविंश अध्ययन : रथनेमीय
सोरियपुरंमि नयरे, आसि राया महिड्ढिए ।
वसुदेवे ति नामेणं, राय-लक्खण-संजुए ॥१॥ सोरियपुर में राज चिन्हों से युक्त तथा महान ऋद्धि से संपन्न वसुदेव नाम का राजा था ॥१॥ In Soriyapura city, there was king Vasudeva with great fortunes and tokens of a king. (1)
तस्स भज्जा दुवे आसी, रोहिणी देवई तहा ।
तासिं दोण्हं पि दो पुत्ता, इट्ठा य राम-केसवा ॥२॥ उसकी दो पत्नियाँ थीं-रोहिणी और देवकी। उन दोनों के दो प्रिय पुत्र थे-राम (बलराम) और केशव (कृष्ण) ॥२॥
He had two chief queens-(1) Rohiņi and (2) Devaki. Those two had two dear sons-(1) Rama (Balarama) and (2) Kesava (Srikrsna). (2)
सोरियपुरंमि नयरे, आसी राया महिड्ढिए ।
समुद्दविजए नाम, राय-लक्खण-संजुए ॥३॥ सोरियपुर नगर में ही राज लक्षणों से संपन्न और महाऋद्धि से युक्त समद्रविजय नाम का राजा भी था ॥३॥
In the same Soriyapura there was another king Samudravijaya, who also had great fortunes, prosperity and tokens of a king. (3)
तस्स भज्जा सिवा नाम, तीसे पुत्तो महायसो ।
भगवं अरिट्टनेमि त्ति, लोगनाहे दमीसरे ॥४॥ उसकी शिवा नाम की रानी थी, उसका पुत्र महायशस्वी, जितेन्द्रियों में श्रेष्ठ, लोकनाथ, भगवान अरिष्टनेमि थे ॥४॥
His chief queen was Śivādevi and her son Aristanemi was most glorious, supreme Imong subduers of senses, venerable, saviour of the world and lord of ascetics. (4)
सोऽरिट्टनेमि - नामो उ, लक्खणस्सर - संजुओ ।
अट्ट सहस्सलक्खणधरो, गोयमो कालगच्छवी ॥५॥ वे अरिष्टनेमि शौर्य, गाम्भीर्य आदि गुणों (लक्षणों) और आदेय एवं आकर्षक स्वर (सुस्वर) से युक्त थे। निके शरीर में एक हजार आठ शुभ लक्षण (शंख, चक्र आदि) थे। उनका गोत्र गौतम और शरीर
Jainामवर्णी था ॥५॥
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