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________________ १८१] षोडश अध्ययन सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र सोलहवाँ अध्ययन : ब्रह्मचर्य समाधि-स्थान उपोद्घात ___ प्रस्तुत अध्ययन का नाम ब्रह्मचर्य समाधि स्थान है। यह अध्ययन सूत्रों और गाथाओं में निबद्ध है। सूत्रों का विस्तार अथवा परिपुष्टिकरण गाथाओं द्वारा किया गया है। - पिछले सभिक्षुक अध्ययन में निर्दोष भिक्षाजीवी श्रमण के लक्षण और जीवन-चर्या के उपरान्त उसे समाधि (शांति) के स्थान बताने के लिए इस अध्ययन में उपक्रम किया गया है। ___ साधारणतः ब्रह्मचर्य का अर्थ मैथुनविरति अथवा स्पर्शेन्द्रिय संयम लिया जाता है; किन्तु यह अर्थ संपूर्ण नहीं है। चिन्तन की गहराई में उतरने पर ब्रह्मचर्य का अभिप्राय सर्वेन्द्रिय संयम स्पष्ट होता है। लेकिन यह भी पूर्ण नहीं है। मानसिक, वाचिक और सभी इन्द्रियों का संयम ब्रह्मचर्य का व्यापक अर्थ है। ब्रह्मचर्य का आध्यात्मिक स्वरूप अपनी आत्मा में-आत्मस्वभाव में रमण करना है। आत्मा अनन्त, अक्षय, सुख और शांति का आगार है। लेकिन आत्मा की गहराइयों तक न पहुंचने वाला मानव इन्द्रियमोहक भौतिक सुख-साधनों में सुख की खोज करने वाला बाह्यगामी हो जाता है; उसकी इस दिग्भ्रांति को तोड़ने का प्रयास ही ब्रह्मचर्य का प्रारम्भ है। प्रस्तुत अध्ययन में जो ब्रह्मचर्य के दस समाधिस्थान बताए गये हैं, वे ब्रह्मचर्य की नौ गुप्तियाँ अथवा नव बाड़ हैं और दसवाँ स्थान है कोट-दुर्ग अथवा इन नव गुप्तियों का रक्षक। ये नवबाड़ तथा दस समाधि स्थान स्वयं ब्रह्मचर्य नहीं हैं, ब्रह्मचर्य के रक्षक अथवा साधक हैं। इनसे ब्रह्मचर्य साधना में सहायता मिलती है। इस दृष्टि से इन साधनों का महत्व कम नहीं है। साधक के लिए ये अनिवार्य हैं। इनमें स्खलना होने से ब्रह्मचर्य भंग होने की संभावना रहती है। प्रस्तुत अध्ययन की शैली से भी यह स्पष्ट है। एक ओर ब्रह्मचर्य के-इन गुप्तियों के लाभ बताये हैं तो तुरन्त ही इनकी स्खलना से होने वाले दोषों का भी सूचन कर दिया है। प्रस्तुत अध्ययन में १२ सूत्र और १७ गाथाएँ हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002912
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year
Total Pages652
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_uttaradhyayan
File Size21 MB
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