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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
नवम अध्ययन [८८
नवमं अज्झयणं : नमिपव्वज्जा नवम अध्ययन : नमि-प्रव्रज्या
चइऊण देवलोगाओ, उववन्नो माणुसंमि लोगंमि ।
उवसन्त-मोहणिज्जो, सरई पोराणियं जाई ॥१॥ देवलोक का अपना आयुष्य पूर्णकर (नमि राजा) मानव लोक में उत्पन्न हुए। मोह उपशांत होने पर उन्हें पूर्वजन्म की स्मृति-जतिस्मरण ज्ञान हुआ ॥१॥
On completion of god's life, took birth as a man, and as the delusiory karma subdued, he (king Nami) remembered his former birth. (1)
जाई सरित्तु भयवं, सहसंबुद्धो अणुत्तरे धम्मे ।
पुत्तं ठवेत्तु रज्जे, अभिणिक्खमई नमी राया ॥२॥ पूर्वजन्म का स्मरण हो जाने पर भगवान नमिराज स्वयं संबुद्ध हुए और अनुत्तर धर्म के परिपालन हेतु तत्पर होकर अपने पुत्र को राजसिंहासन पर बिठाकर अभिनिष्क्रमण किया ॥२॥ ____By the remembrance of his previous birth, the king (Nami) enlightened himself, placed his son on the throne, Namirāja went out to observe the supreme religious order. (2)
से देवलोग-सरिसे, अन्तेउरवरगओ वरे भोए ।
भुंजित्तु नमी राया, बुद्धो भोगे परिच्चयई ॥३॥ अपने अन्तःपुर में रहकर देवलोक के समान श्रेष्ठ भोगों को भोगकर नमिराज प्रतिबुद्ध हुए और उन्होंने भोगों का परित्याग कर दिया ॥३॥
Having enjoyed the company of beautiful queens of his seraglio, excellent pleasures matching those of heavens, king Nami became enlightened himself and renounced all those pleasures and amusements. (3)
मिहिलं सपुरजणवयं, बलमोरोहं च परियणं सव्वं ।
चिच्चा अभिनिक्खन्तो, एगन्तमहिट्ठिओ भयवं ॥४॥ अपने पुर, जनपद, मिथिला नगरी, सेना, अन्तःपुर तथा समस्त परिजनों का परित्याग करके भगवान नमिराज ने अभिनिष्क्रमण किया और एकान्तवासी बने ॥४॥
Renouncing the town, populated place, Mithilā city, country, army, seraglio and all his retinue the venerable Namirāja moved out and resorted at a lonely place. (4)
कोलाहलगभूयं, आसी मिहिलाए पव्वयन्तमि । तइया रायरिसिमि, नमिमि अभिणिक्खमन्तंमि ॥५॥
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