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________________ फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ fi தமிமிமிமிமிமிமிமிமிதமிழ்***தமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமித परिशिष्ट (जैन आगम, हिन्दी एवं अंग्रेजी भावार्थ और विवेचन के साथ। शास्त्र उद्घाटित करने वाले बहुरंगे चित्रों सहित) विश्व में पहली बार जैन साहित्य के इतिहास में एक नये ज्ञान युग का शुभारम्भ फ्र भावों को १. सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र फ्र भगवान महावीर की अन्तिम वाणी । आदर्श जीवन विज्ञान तथा तत्त्वज्ञान से युक्त मोक्षमार्ग के सम्पूर्ण फ अंगों का सारपूर्ण वर्णन । एक ही सूत्र में सम्पूर्ण जैन आचार, दर्शन और सिद्धान्तों का समग्र सद्बोध । २. सचित्र दशवैकालिक सूत्र ३. सचित्र नन्दी सूत्र मतिज्ञान - श्रुतज्ञान आदि पाँचों ज्ञानों का विविध उदाहरणों सहित विस्तृत वर्णन । ४. सचित्र अनुयोगद्वार सूत्र (भाग १, २) मूल्य ५००/ मूल्य ५००/ जैन श्रमण की अहिंसा व यतनायुक्त आचार संहिता। जीवन में पद-पद पर काम आने वाले विवेकयुक्त, 5 संयत व्यवहार, भोजन, भाषा, विनय आदि की मार्गदर्शक सूचनाएँ । आचार विधि को रंगीन चित्रों के फ माध्यम से आकर्षक और सुबोध बनाया गया है। यह शास्त्र जैनदर्शन और तत्वज्ञान को समझने की कुंजी है। नय, निक्षेप, प्रमाण, जैसे दार्शनिक विषयों के साथ ही गणित, ज्योतिष, संगीतशास्त्र, काव्यशास्त्र, प्राचीन लिपि, नाप-तौल आदि सैकड़ों विषयों का वर्णन है। यह सूत्र गम्भीर भी है और बड़ा भी है। अतः दो भागों में प्रकाशित किया है। मूल्य ५००/ (605) Jain Education International मूल्य १,०००/ For Private & Personal Use Only 25955 55955 5955 55 5 5 5 5 5 5 595555555595959595959595959 मूल्य १,०००/ फ्र मूल्य १,०००/ अफ्र 卐 Appendix फ ५. सचित्र आचारांग सूत्र (भाग १, २) यह ग्यारह अंगों में प्रथम अंग है। भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित अहिंसा, सम्यक्त्व, संयम, तितिक्षा आदि आधारभूत तत्त्वों का बहुत ही सुन्दर वर्णन है। भगवान महावीर का जीवन-चरित्र, उनकी छद्मस्थ 卐 चर्या का आँखों देखा वर्णन तथा जैन श्रमण का आचार-विचार दूसरे भाग में है। दोनों भाग विविध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक चित्रों से युक्त । 卐 卐 卐 卐 फ ६. सचित्र स्थानांग सूत्र (भाग १, २) मूल्य १,२००/ यह चौथा अंग सूत्र है । अपनी खास संख्या प्रधान शैली में संकलित यह शास्त्र ज्ञान, विज्ञान, ज्योतिष, भूगोल, गणित, इतिहास, नीति, आचार, मनोविज्ञान, पुरुष-परीक्षा आदि सैकड़ों प्रकार के विषयों का फ ज्ञान देने वाला बहुत ही विशालकाय शास्त्र है। भावार्थ और विवेचन के कारण प्रत्येक पाठक के लिए समझने में सरल और ज्ञानवर्धक है। 卐 卐 फ्र ७. सचित्र ज्ञाताधर्मकथा सूत्र (भाग १, २) भगवान महावीर द्वारा प्रवचनों में प्रयुक्त धर्मकथाएँ, उद्बोधक, रूपक, दृष्टान्त आदि जिनके माध्यम से फ तत्त्वज्ञान सहज ही ग्राह्य हो गया है। विविध रोचक रंगीन चित्रों से युक्त । दो भागों में सम्पूर्ण आगम । परिशिष्ट 卐 卐 卐 फ्र फ्र 卐 फ्र फ्र www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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