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[प्र. ६ ] जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दीवे जहण्णपदे वा उक्कोसपदे वा केवइआ पंचिंदिअरयणसया 5 परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ?
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[ उ. ] गोयमा ! जहण्णपए अट्ठावीसं उक्कोसपए दोण्णि दसुत्तरा पंचिंदिअरयणसया परिभोगत्ताए हव्यमागच्छंति ।
[प्र.७ ] जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दीवे केवइआ एगिंदिअरयणसया सव्वग्गेणं पण्णत्ता ?
[उ. ] गोयमा ! दो दसुत्तरा एगिंदिअरयणसया सव्वग्गेणं पण्णत्ता ।
[प्र. ८ ] जम्बुद्दीवे णं भन्ते ! दीवे केवइआ एगिंदिअरयणसया परिभोगत्ताए हव्यमागच्छन्ति ? [उ. ] गोयमा ! जहण्णपए अट्ठावीसं उक्कोसपए दोण्णि दसुत्तरा एगिंदिअरयणसया परिभोगत्ताए हव्यमागच्छन्ति ।
२०८. [ प्र. १ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में जघन्य-कम से कम तथा उत्कृष्ट समग्रतया कितने तीर्थंकर होते हैं ?
[उ.] गौतम ! कम से कम चार तथा अधिक से अधिक चौंतीस तीर्थंकर होते हैं।
[प्र. २ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में कम से कम तथा अधिक से अधिक कितने चक्रवर्ती होते हैं ?
[ उ. ] गौतम ! कम से कम चार तथा अधिक से अधिक तीस चक्रवर्ती होते हैं। जितने चक्रवर्ती होते हैं, उतने ही बलदेव होते हैं, वासुदेव भी उतने ही होते हैं।
[प्र. ३ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में निधि - रत्न - उत्कृष्ट निधान कितने होते हैं ?
[उ.] गौतम ! जम्बूद्वीप में निधि-रत्न ३०६ होते हैं।
[प्र. ४ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने सौ निधि-रत्न यथाशीघ्र परिभोग-उपयोग में आते हैं ?
[उ. ] गौतम ! कम से कम ३६ तथा अधिक से अधिक २७० निधि - रत्न यथाशीघ्र परिभोगउपयोग में आते हैं।
[प्र. ५ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने सौ पंचेन्द्रिय-रत्न होते हैं ?
[उ.] गौतम ! जम्बूद्वीप में पंचेन्द्रिय- रत्न २१० होते हैं ।
[प्र. ६ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में कम से कम और अधिक से अधिक कितने पंचेन्द्रिय-रत्न यथाशीघ्र परिभोग-उपयोग में आते हैं ?
[उ.] गौतम ! जम्बूद्वीप में कम से कम २८ और अधिक से अधिक २१० पंचेन्द्रिय - रत्न यथाशीघ्र परिभोग-उपयोग में आते हैं।
[प्र. ७ ] भगवन् ! जम्बूद्वीप में कितने सौ एकेन्द्रिय-रत्न होते हैं ?
[उ.] गौतम ! जम्बूद्वीप में २१० एकेन्द्रिय-रत्न होते हैं।
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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