SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 648
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ B55555555555555555555555555555555555555555555555558 २००.[प्र. ] भगवन् ! चन्द्र-विमान को कितने हजार देव परिवहन करते हैं ? [उ. ] (क) गौतम ! सोलह हजार देव परिवहन करते हैं। चन्द्र-विमान के पूर्व में श्वेत-वर्णयुक्त, सौभाग्ययक्त. जन-जन को प्रिय लगने वाले. सष्ठ प्रभायक्त, शंख के मध्य भाग, जमे हए ठोस अत्यन्त 卐 निर्मल दही, गाय के दूध के झाग तथा रजत-राशि या चाँदी के ढेर के सदृश विमल, उज्ज्वल दीप्तियुक्त, सुदृढ़-कान्त, कलाइयों से युक्त, गोल, पुष्ट, परस्पर मिले हुए, विशिष्ट, तीखी डाढ़ों से प्रकटित मुखयुक्त, लाल कमल के सदृश मृदु, अत्यन्त कोमल तालु-जिह्वायुक्त, अत्यन्त गाढ़े या जमे हुए शहद की गोली 5 सदृश पिंगल वर्ण के लालिमा-मिश्रित भूरे रंग के नेत्रयुक्त, माँसल, उत्तम जंघायुक्त, परिपूर्ण, चौड़े कन्धों से युक्त, मुलायम, उज्ज्वल, सूक्ष्म, प्रशस्त लक्षणयुक्त, उत्तम वर्णमय, कन्धों पर उगे अयालों से शोभित ऊपर किये हुए, ऊपर से सुन्दर रूप में झुके हुए, सहज रूप में सुन्दर, कभी-कभी भूमि पर फटकारी गई पूँछ से युक्त, वज्रमय नखयुक्त, वज्रमय दंष्ट्रायुक्त, वज्रमय दाँतों वाले, अग्नि में तपाये हुए स्वर्णमय जिह्वा तथा तालु से युक्त, तपनीय स्वर्ण-निर्मित रज्जू द्वारा विमान के साथ भलीभाँति जुड़े हुए,' स्वेच्छापूर्वक गमन करने वाले, उल्लास के साथ चलने वाले, मन की गति की ज्यों सत्वर गमनशील, मन को प्रिय लगने वाले, अत्यधिक तेज गतियुक्त, अपरिमित बल, वीर्य, पुरुषार्थ तथा पराक्रम से युक्त, ॐ उच्च गम्भीर स्वर से सिंहनाद करते हुए, अपनी मधुर, मनोहर ध्वनि द्वारा गगन-मण्डल को आपूर्ण करते हुए, दिशाओं को सुशोभित करते हुए चार हजार सिंहरूपधारी देव-विमान के पूर्वी पार्श्व को परिवहन किये चलते हैं। (ख) चन्द्र-विमान के दक्षिण में सफेद वर्णयुक्त, सौभाग्ययुक्त, सुष्ठ प्रभायुक्त, शंख के मध्य भाग, ॐ जमे हुए ठोस अत्यन्त निर्मल दही, गोदुग्ध के झाग तथा रजत-राशि की ज्यों विमल, उज्ज्वल दीप्तियुक्त, वज्रमय कुंभस्थल से युक्त, सुन्दर संस्थानयुक्त, परिपुष्ट, उत्तम, हीरों की ज्यों देदीप्यमान, गोल सैंड, उस पर उभरे हुए दीप्त, रक्त-कमल से प्रतीत होते बिन्दुओं से सुशोभित, उन्नत मुखयुक्त, तपनीय-स्वर्ण सदृश, विशाल, सहज चपलतामय, इधर-उधर डोलते, निर्मल, उज्ज्वल कानों से युक्त, मधुवर्ण-शहद सदृश वर्णमय, देदीप्यमान, चिकने, सुकोमल पलकयुक्त, निर्मल, लाल, पीले तथा सफेद रत्नों जैसे , लोचनयुक्त, अति उन्नत, चमेली के पुष्प की कली के समान धवल, सम संस्थानमय, घाव से रहित, दृढ़, संपूर्णतः स्फटिकमय, जन्मजात दोषरहित, मूसलवत्, पर्यन्त भागों पर उज्ज्वल मणिरत्न-निष्पन्न रुचिर चित्रांकनमय स्वर्ण-निर्मित कोशिकाओं में सन्निवेशित अग्र भागयुक्त दाँतों से सुशोभित, तपनीय स्वर्णसदृश, बड़े-बड़े तिलक आदि पुष्पों से परिमण्डित, विविध मणिरत्न-सज्जित मूर्धायुक्त, गले में प्रस्थापित श्रेष्ठ भूषणों से विभूषित, कुंभस्थल द्विभाग-स्थित नीलम-निर्मित विचित्र दण्डान्वित, निर्मल वज्रमय, तीक्ष्ण कान्त अंकुशयुक्त, तपनीय-स्वर्ण-निर्मित, सुन्दर रूप में बँधी छाती पर, पेट पर बाँधी , जाने वाली रस्सी से युक्त, गर्व से उद्धत, उत्कट बलयुक्त, निर्मल, सघन मण्डलयुक्त, हीरकमय अंकुश द्वारा दी जाती ताड़ना से उत्पन्न श्रुतिसुखद शब्दयुक्त, विविध मणियों एवं रत्नों से सज्जित, दोनों ओर विद्यमान छोटी-छोटी घण्टियों से युक्त, रजत-निर्मित, तिरछी बँधी रस्सी से लटकते दो घण्टाओं के मधुर स्वर से मनोहर प्रतीत होते, सुन्दर, समुचित प्रमाणोपेत, वर्तुलाकार, सुनिष्पन्न, उत्तम लक्षणमय + प्रशस्त, रमणीय बालों से शोभित पूँछ वाले, माँसल, पूर्ण अवयव वाले, कछुए की ज्यों उन्नत चरणों के 听听FFFFFFFFFFFFFFFFFFF听听听听FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF (580) Jambudveep Prajnapti Sutra | जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र ) )))) ))))))))) ))))))))5558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org,
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy