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________________ 85))))))))))))))))))))))1555555555 FEEEEEEEEEEEEE 日FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF फ़ [प्र. ८ ] भगवन् ! हेमन्तकाल के चौथे-फाल्गुन मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? __[उ. ] गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) मघा, (२) पूर्वाफाल्गुनी, तथा म (३) उत्तराफाल्गुनी। __मघा नक्षत्र १४ रात-दिन, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र १५ रात-दिन तथा उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र १ रात卐 दिन परिसमाप्त करता है। (१४ + १५ + १ = ३० रात-दिन = १ मास) तब सूर्य सोलह अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। ___ उस महीने के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। [प्र. ९] भगवन् ! चातुर्मासिक ग्रीष्मकाल के प्रथम-चैत्र मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं? [उ. ] गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) उत्तराफाल्गुनी, (२) हस्त, तथा (३) चित्रा। उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र १४ रात-दिन, हस्त नक्षत्र १५ रात-दिन तथा चित्रा नक्षत्र १ रात-दिन परिसमाप्त करता है। (१४ + १५ + १ = ३० रात-दिन = १ मास) तब सूर्य १२ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन परिपूर्ण तीन पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। [प्र. १० ] भगवन् ! ग्रीष्मकाल के दूसरे-वैशाख मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? । [उ. ] गौतम ! उसे तीन नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) चित्रा, (२) स्वाति, तथा (३) विशाखा। चित्रा नक्षत्र १४ रात-दिन, स्वाति नक्षत्र १५ रात-दिन तथा विशाखा नक्षत्र १ रात-दिन 卐 परिसमाप्त करता है। (१४ + १५ + १ = ३० रात-दिन = १ मास) तब सूर्य आठ अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। ___ उस महीने के अन्तिम दिन आठ अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। [प्र. ११] भगवन् ! ग्रीष्मकाल के तीसरे-ज्येष्ठ मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? 3 [उ. ] गौतम ! उसे चार नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं-(१) विशाखा, (२) अनुराधा, (३) ज्येष्ठा, तथा (४) मूल। विशाखा नक्षत्र १४ रात-दिन, अनुराधा नक्षत्र ८ रात-दिन, ज्येष्ठा नक्षत्र ७ रात-दिन तथा मूल नक्षत्र १ रात-दिन परिसमाप्त करता है। (१४ + ८ + ७ + १ = ३० रात-दिन = १ मास) तब सूर्य चार अंगुल अधिक पुरुषछायाप्रमाण अनुपर्यटन करता है। उस महीने के अन्तिम दिन चार अंगुल अधिक दो पद पुरुषछायाप्रमाण पोरसी होती है। [प्र. १२ ] भगवन् ! ग्रीष्मकाल के चौथे-आषाढ़ मास को कितने नक्षत्र परिसमाप्त करते हैं ? 卐5555555))))) | जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (564) Jambudveep Prajnapti Sutra 855555555555555 5 5555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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