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________________ )) )) ))) ) )) )) B5FFFFFFF4555555555555555555FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF B5555555555)))))))555555555555555558 (१) अभिनन्दित, (२) प्रतिष्ठित, (३) विजय, (४) प्रीतिवर्द्धन, (५) श्रेयान्, (६) शिव, (७) शिशिर, (८) हिमवान्, (९) वसन्तमास, (१०) कुसुमसम्भव, (११) निदाघ, तथा (१२) वनविरोह। [प्र. २ ] भगवन् ! प्रत्येक महीने के कितने पक्ष होते हैं ? [उ. ] गौतम ! प्रत्येक महीने के दो पक्ष होते हैं, जैसे-(१) कृष्ण, तथा (२) शुक्ल। ___[प्र. ३ ] भगवन् ! प्रत्येक पक्ष के कितने दिन होते हैं ? [उ.] गौतम ! प्रत्येक पक्ष के पन्द्रह दिन होते हैं, जैसे-(१) प्रतिपदा-दिवस, यावत् (२) द्वितीया, (३) तृतीया, (४) चतुर्थी, (५) पंचमी, (६) षष्ठी, (७) सप्तमी, (८) अष्टमी, (९) नवमी, (१०) दशमी, (११) एकादशी, (१२) द्वादशी, (१३) त्रयोदशी, (१४) चतुर्दशी, * यावत् (१५) पंचदशी (अमावस्या या पूर्णमासी का दिन)। [प्र. ४ ] भगवन् ! इन पन्द्रह दिनों के कितने नाम हैं ? [उ. ] गौतम ! पन्द्रह दिनों के पन्द्रह नाम हैं, जैसे (१) पूर्वांग, (२) सिद्धमनोरम, (३) मनोहर, (४) यशोभद्र, (५) यशोधर, (६) सर्वकामसमृद्ध, (७) इन्द्रमूर्धाभिषिक्त, (८) सोभनस, (९) धनंजय, (१०) अर्थसिद्ध, (११) अभिजात, (१२) अत्यशन, (१३) शतंजय, (१४) अग्निवेश्म, तथा (१५) उपशम। [प्र. ५ ] भगवन् ! इन पन्द्रह दिनों की कितनी तिथियाँ हैं ? [उ. ] गौतम ! इनकी पन्द्रह तिथियाँ हैं, जैसे (१) नन्दा, (२) भद्रा, (३) जया, (४) तुच्छा-रिक्ता, (५) पूर्णा-पंचमी। फिर (६) नन्दा, म (७) भद्रा, (८) जया, (९) तुच्छा, (१०) पूर्णा-दशमी। फिर (११) नन्दा, (१२) भद्रा, 4 (१३) जया, (१४) तुच्छा, (१५) पूर्णा-पंचदशी। यों तीन आवृत्तियों में ये पन्द्रह तिथियाँ होती हैं। __ [प्र. ६. ] भगवन् ! प्रत्येक पक्ष में कितनी रातें होती हैं ? [उ.] गौतम ! प्रत्येक पक्ष में पन्द्रह रातें होती हैं, जैसे-(१) प्रतिपदारात्रि-एकम की रात, यावत् (१५)-अमावस या पूनम की रात। ॐ [प्र. ७ ] भगवन् ! इन पन्द्रह रातों के कितने नाम हैं ? [उ. ] गौतम ! इनके पन्द्रह नाम हैं, जैसे (१) उत्तमा, (२) सुनक्षत्रा, (३) एलापत्या, (४) यशोधरा, (५) सौमनसा, (६) श्रीसम्भूता, ॐ (७) विजया, (८) वैजयन्ती, (९) जयन्ती, (१०) अपराजिता, (११) इच्छा, (१२) समाहारा, 9 (१३) तेजा, (१४) अतितेजा, तथा (१५) देवानन्दा या निरति। + [प्र. ८ ] भगवन् ! इन पन्द्रह रातों की कितनी तिथियाँ हैं ? 555555555))) 5 B555555555555 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (526) Jambudveep Pranapti Sutra 845555555555555555555555553 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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