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05555555555555454545555555555555555545454555550 ॐ [उ.] गोयमा ! पंच जोअणसहस्साइं एगं च अट्ठारसुत्तरं जोअणसयं चोद्दस य पंचत्तुरे भागसए म गच्छइ मण्डलं तेरसहिं सहस्सेहिं सत्तहिं पणवीसेहिं सएहि छेत्ता। म एवं खलु एएणं उवाएणं (णिक्खममाणे चन्दे तयाणन्तराओ मण्डलाओ तयाणन्तरं मण्डलं) संकममाणे
२ तिण्णि २ जोअणाई छण्णउतिं च पंचावण्णे भागसए एगमेगे मण्डले मुहत्तगई णिवुद्धमाणे २ सवभंतरं ॐ मण्डलं उवसंकमित्ता चारं चरइ।
१८१. [प्र. १ ] भगवन् ! जब चन्द्र सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब 卐 वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ?
[उ. ] गौतम ! वह प्रतिमुहूर्त्त ५,०७३७१७३८ योजन क्षेत्र पार करता है, तब वह (चन्द्र) यहाँ9 भरतार्थ क्षेत्र में स्थित मनुष्यों को ४७,२६३६६ योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है।
[प्र. २ ] भगवन् ! जब चन्द्र दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब 卐 (प्रतिमुहूर्त) कितना क्षेत्र पार करता है?
____ [उ. ] गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त्त ५,०७७,३६७६ योजन क्षेत्र पार करता है। म [प्र. ३ ] भगवन् ! जब चन्द्र तीसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है?
[उ. ] गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त ५,०८०१३३१६ योजन क्षेत्र पार करता है। ॐ इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र (पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ)
प्रत्येक मण्डल पर ३,९६५५६ मुहूर्त-गति बढ़ाता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। 卐 [प्र. ४ ] भगवन् ! जब चन्द्र सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त
कितना क्षेत्र पार करता है? + [उ. ] गौतम ! वह ५,१२५,६१९२० योजन क्षेत्र पार करता है, तब यहाँ स्थित मनुष्यों को वह (चन्द्र)
३१,८३१ योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। म [प्र. ५ ] भगवन् ! जब चन्द्र दूसरे बाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह
प्रतिमुहूर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? 5 [उ. ] गौतम ! वह प्रतिमुहूर्त ५,१२१११६८ योजन क्षेत्र पार करता है।
[प्र. ६ ] भगवन् ! जब चन्द्र तीसरे बाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब प्रतिमुहूर्त 卐 कितना क्षेत्र पार करता है? _ [उ. ] गौतम ! तब वह प्रतिमुहूर्त ५,११८१३७२६ योजन क्षेत्र पार करता है।
इस क्रम से (निष्क्रमण करता हुआ, पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर) संक्रमण करता हुआ चन्द्र एक-एक मण्डल पर ३७३५६ योजन मुहूर्त-गति कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण 卐 कर गति करता है।
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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(510)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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