________________
Vaitadhya mountain is exactly at the middle of Bharat continent dividing it into two parts. The two parts are called the southern Bharat and northern Bharat.
जम्बूद्वीप में दक्षिणार्ध भरत का स्थान और स्वरूप NATURE AND LOCATION OF SOUTHERN BHARAT IN JAMBUDVEEP
११. [प्र. ] कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणद्धे भरहे णामं वासे पण्णत्ते ? _[उ. ] गोयमा ! वेअड्डस्स पव्वयस्स दाहिणेणं, दाहिणलवणसमुद्दस्स उत्तरेणं, पुरथिमलवणसमुदस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरथिमेणं, एत्थ णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणद्धभरहे णामं वासे
पण्णत्ते-पाईणपडीणायए, उदीणदाहिणवित्थिण्णे, अद्धचंदसंठाणसंठिए, तिहा लवणसमुदं पुढें, क गंगासिंधूहिं महाणईहिं तिभागपविभत्ते। दोण्णि अद्वतीसे जोअणसए तिण्णि अ एगूणवीसइभागे जोयणस्स
विक्खंभेणं। तस्स जीवा उत्तरेणं पाईणपडीणायया, दुहा लवणसमुदं पुट्ठा, पुरथिमिल्लाए कोडीए म पुरथिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा, पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं लवणसमुदं पुट्ठा। णव
जोयणसहस्साई सत्त य अडयाले जोयणसए दुवालस य एगूणवीसइभाए जोयणस्स आयामेणं, तीसे कधणुपुढे दाहिणेणं णव जोयणसहस्साई सत्तछावठे जोयणसए इक्कं एगूणवीसइभागे जोयणस्स किंचिविसेसाहि परिक्खेवेणं पण्णत्ते।
[प्र. ] दाहिणद्धभरहस्स णं भंते ! वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे पण्णत्ते ?
[उ.] गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते, से जहा णामए आलिंगपुक्खरेइ वा जाव णाणाविहपञ्चपण्णेहिं मणीहिं तणेहिं उवसोभिए, तं जहा-कित्तिमेहिं चेव अकित्तिमेहिं चेव। __ [प्र. ] दाहिणद्धभरहे णं भंते ! वासे मणुयाणं केरिसए आयारभावपडोयारे पण्णत्ते ?
[उ. ] गोयमा ! ते णं मणुआ बहुसंघयणा, बहुसंठाणा, बहुउच्चत्तपज्जवा, बहुआउपज्जवा, बहूई वासाइं आउं पालेंति, पालित्ता अप्पेगइया णिरयगामी, अप्पेगइया तिरियगामी, अप्पेगइया मणुयगामी, अप्पेगइया देवगामी, अप्पेगइया सिझंति बुझंति मुच्चंति परिणिब्वायंति सब्बदुक्खाणमंतं करेंति।
११. [प्र. ] भगवन् ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में दक्षिणार्ध भरत नामक क्षेत्र कहाँ है ? 3 [उ. ] गौतम ! वैताढ्य पर्वत के दक्षिण में, दक्षिण लवण समुद्र के उत्तर में, पूर्व लवण समुद्र के म पश्चिम में तथा पश्चिम लवण समुद्र के पूर्व में जम्बू नामक द्वीप के अन्तर्गत दक्षिणार्ध भरत नामक क्षेत्र
है। वह पूर्व-पश्चिम में लम्बा तथा उत्तर-दक्षिण में चौड़ा है। यह आकार में अर्द्ध-चन्द्र के सदृश है। वह तीन ओर से लवण समुद्र का स्पर्श किये हुए है। गंगा महानदी और सिन्धु महानदी से वह तीन भागों में विभक्त हो गया है। वह २३८३३ योजन चौड़ा है। उसकी जीवा-धनुष की प्रत्यंचा जैसी सीधी उत्तर में,
पूर्व-पश्चिम लम्बी है। वह दोनों ओर से लवण समुद्र का स्पर्श किये हुए है। अपने पश्चिमी किनारे से + वह पश्चिम लवण समुद्र का स्पर्श किये हुए है तथा पूर्वी किनारे से पूर्व लवण समुद्र का स्पर्श किये हुए | जम्बूदीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Jambudveep Prajnapti Sutra 9555555555555555555555555555558
听听听听听听听听听听听听听听听听听F55555555FFFFFFFFFFFFFF 5555555
(12)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org