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[उ. ] गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते, सव्वजम्बूणयामए। __ [प्र.] मन्दरस्स णं भन्ते ! पव्वयस्स हेछिल्ले कंडे केवइअं बाहल्लेणं पण्णत्ते ? __[उ. ] गोयमा ! एगं जोअणसहस्सं बाहल्लेणं पण्णत्ते।
[प्र. ] मन्झिमिल्ले कंडे पुच्छा, गोयमा ! तेवढि जोअणसहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ते।
[उ. ] उवरिल्ले पुच्छा, गोयमा ! छत्तीसं जोअणसहस्साई बाहल्लेणं पण्णत्ते। एवामेव सपुवावरेणं मन्दरे पब्बए एगं जोअणसयसहस्सं सब्बग्गेणं पण्णत्ते।
१३७. [प्र. ] भगवन् ! मन्दर पर्वत के कितने काण्ड-पर्वत-क्षेत्र के विभाग हैं ?
[उ. ] गौतम ! उसके तीन विभाग हैं-(१) अधस्तन विभाग-नीचे का विभाग, (२) मध्यम विभाग-बीच का विभाग, तथा (३) उपरितन विभाग-ऊपर का विभाग।
[प्र.] भगवन् ! मन्दर पर्वत का अधस्तन विभाग कितने प्रकार का है ?
[उ.] गौतम ! वह चार प्रकार का है-(१) पृथ्वी-मृत्तिकारूप, (२) उपल-पाषाणरूप, (३) वज्र-हीरकमय, तथा (४) शर्करा-कंकरमय।
[प्र. ] भगवन् ! उसका मध्यम विभाग कितने प्रकार का है ?
[उ. ] गौतम ! वह चार प्रकार का है-(१) अंकरत्नमय, (२) स्फटिकमय, (३) स्वर्णमय, तथा (४) रजतमय।
[प्र. ] भगवन् ! उसका उपरितन विभाग कितने प्रकार का है? [उ. ] गौतम ! वह एकाकार-एक प्रकार का है। वह सर्वथा जम्बूनद-स्वर्णमय है। [प्र. ] भगवन् ! मन्दर पर्वत का अधस्तन विभाग कितना ऊँचा है ? [उ. ] गौतम ! वह १,००० योजन ऊँचा है।
[प्र. ] मध्यम विभाग के सम्बन्ध में भी ऐसा ही प्रश्न है ? (मन्दर पर्वत का मध्यम विभाग कितना ऊँचा है ?)
[उ. ] गौतम ! वह ६३,००० योजन ऊँचा है। [प्र. ] भगवन् ! मन्दर पर्वत का उपरितन विभाग कितना ऊँचा है ?
[उ. ] गौतम ! वह ३६,००० योजन ऊँचा है। यों उसकी ऊँचाई का कुल परिमाण १,००० + ६३,००० + ३६,००० = १,००,००० (एक लाख) योजन है। ____137. [Q.] Reverend Sir ! How many are the visions of Mandar mountain ? ___[Ans.] Gautam ! It has three divisions (parts) (1) The lower part, (2) The middle part, and (3) The upper part. | चतुर्थ वक्षस्कार
Fourth Chapter
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