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________________ फफफफफफफफफफफफ 5 फ्र 卐 रायहाणीओ इमाओ, तं जहा १. विजया, २. वेजयन्ती, ३. जयन्ती, ४. अपराजिआ । ५. चक्कपुरा, ६. खग्गपुरा हवइ, ७. अवज्झा, ८. अउज्झा य ॥ २ ॥ इमे वक्खारा, तं जहा - चन्दपव्यए १, सूरपव्वए २, नागपव्वए ३, देवपव्वए ४ । इमाओ ईओ आए महाणईए दाहिणिल्ले कूले- खीरोआ सीहसोआ अंतरवाहिणीओ गईओ ३, उम्मिमालिणी १, फेणमालिणी २, गम्भीरमालिणी ३, उत्तरिल्लविजयाणन्तराउत्ति । इत्थ परिवाडीए दो दो कूडा विजयसरिसणामया भाणिअव्वा, इमे दो दो कूडा अवद्विआ, तं जहा- सिद्धाययणकूडे पव्वयसरिसणामकूडे । उत्तरी सीतोदामुख वनखण्ड में (१) वप्र विजय है, विजया राजधानी है, चन्द्र वक्षस्कार पर्वत है। (२) सुवप्र विजय है, वैजयन्ती राजधानी है, ऊर्मिमालिनी नदी है । (३) महावप्र विजय है, जयन्ती राजधानी है, सूर वक्षस्कार पर्वत है । (४) वप्रावती विजय है, अपराजिता राजधानी है, फेनमालिनी नदी है । (५) वल्गु विजय है, चक्रपुरी राजधानी है, नाग वक्षस्कार पर्वत है। (६) सुवल्गु विजय है, खड्गपुरी राजधानी है, गम्भीरमालिनी अन्तरनदी है । (७) गन्धिल विजय है, अवध्या राजधानी है, देव वक्षस्कार पर्वत है । (८) गन्धिलावती विजय है, अयोध्या राजधानी है। 553 १३१. (१) पक्ष्म विजय है, अश्वपुरी राजधानी है, अंकावती वक्षस्कार पर्वत है । (२) सुपक्ष्म विजय है, सिंहपुरी राजधानी है, क्षीरोदा महानदी है । (३) महापक्ष्म विजय है, महापुरी राजधानी है, पक्ष्मावती वक्षस्कार पर्वत है । (४) पक्ष्मकावती विजय है, विजयपुरी राजधानी है, शीतस्रोता महानदी है। (५) शंख विजय है, अपराजिता राजधानी है, आशीविष वक्षस्कार पर्वत है। (६) कुमुद विजय है, ५ अरजा राजधानी है, अन्तर्वाहिनी महानदी है । (७) नलिन विजय है, अशोका राजधानी है, सुखावह वक्षस्कार पर्वत है । (८) नलिनावती ( सलिलावती) विजय है, वीताशोका राजधानी है। दाक्षिणात्य शीतोदामुख वनखण्ड है। इसी की ज्यों उत्तरी सीतोदामुख वनखण्ड है। f वक्षस्कार पर्वत इस प्रकार हैं- ( १ ) अंक, (२) पक्ष्म, (३) आशीविष, तथा ( ४ ) सुखावह। इस # क्रमानुरूप कूट सदृश नामयुक्त दो-दो विजय, दिशा - विदिशाएँ, सीतोदा का दक्षिणवर्ती मुखवन तथा 5 उत्तरवर्ती मुखवन - ये सब समझ लेने चाहिए। (१) पक्ष्म, (२) सुपक्ष्म, (३) महापक्ष्म, (४) पक्ष्मकावती, (५) शंख, (६) कुमुद, (७) नलिन, तथा (८) नलिनावती । राजधानियाँ इस प्रकार हैं- ( १ ) अश्वपुरी, (२) सिंहपुरी, (३) महापुरी, (४) विजयपुरी, (५) अपराजिता, (६) अरजा, (७) अशोका, तथा (८) वीतशोका । 4 उक्त प्रकार मन्दर पर्वत के दक्षिणी पार्श्व का भाग का कथन कर लेना चाहिए। वह वैसा ही है। वहाँ सीतोदा नदी के दक्षिणी तट पर ये विजय हैं फ्र सीतोदा के उत्तरी पार्श्व में ये विजय हैं- ( १ ) वप्र, (२) सुवप्र, (३) महावप्र, (४) वप्रकावती (वप्रावती), (५) वल्गु, (६) सुवल्गु, (७) गन्धिल, तथा (८) गन्धिलावती । चतुर्थ वक्षस्कार Jain Education International (359) For Private & Personal Use Only 5 5 5 5 תתתתתתתתתתתתם 또 ५ Fourth Chapter ५ फ्र फ्र फ्र www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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