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[प्र. ] कहि णं भन्ते ! महाविदेहे वासे पंकावई कुंडे णामं कुण्डे पण्णत्ते ?
[उ.] गोयमा ! मंगलावत्तस्स पुरथिमेणं, पुक्खलविजयस्स पच्चत्थिमेणं, णीलवन्तस्स दाहिणे 卐 णितंबे. एत्थ णं पंकावई (कंडे णाम) कंडे पण्णत्ते। तं चेव गाहावइकुण्डप्पमाणं जाव
मंगलावत्तपुक्खलावत्तविजए दुहा विभयमाणी २ अवसेसं तं चेव जं चेव गाहावईए। + ११८. [प्र. ] भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में मंगलावर्त नामक विजय कहाँ पर है ?
[उ. ] गौतम ! नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, सीता महानदी के उत्तर में, नलिनकूट के पूर्व म में. पंकावती के पश्चिम में मंगलावर्त नामक विजय है। इसका सारा वर्णन कच्छ विजय के सदश है। यहाँ ॥
मंगलावर्त नामक देव निवास करता है। इस कारण यह मंगलावर्त कहा जाता है। + [प्र. ] भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र में पंकावती कुण्ड नामक कुण्ड कहाँ बतलाया गया है ?
[उ. ] गौतम ! मंगलावर्त विजय के पूर्व में, पुष्कल विजय के पश्चिम में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिणी ढलान में पंकावती कुण्ड नामक कुण्ड बतलाया गया है। उसका प्रमाण, वर्णन ग्राहावती कुण्ड के समान है। उससे पंकावती नामक नदी निकलती है, जो मंगलावर्त विजय तथा पुष्कलावर्त विजय को दो भागों में विभक्त करती हुई आगे बढ़ती है। उसका बाकी वर्णन ग्राहावती के समान है।
118. (Q.) Reverend Sir ! Where is Mangalavart Vijay of Mahavideh region located ?
(A.) Gautam ! In the south of Neelavan Varshadhar mountain, in the fi north of Sita river, in the east of Nalinkoot and in the west of Pankavati,
Mangalavati Vijay is located. Its entire description is similar to that of Kutchh Vijay. Here Mangalavart celestial being is residing. So it is called Mangalavart.
(Q.) Reverend Sir ! Where is Pankavati pond located in Mahavideh region ? + 1A.1 Gautam ! In the east of Manglavart Vijay, in the west of Pushkal
Vijay, in the south of Neelavan Varshadhar mountain at its slope,
Pankavati canion is located. Its size is equal to that of Grahavati pond. fi Pankavati river starts from it and divides Manglavart Vijay and fi Pushkalavart Vijay in two parts and then flows ahead. Its remaining
description is similar to that of Grahavati. (७) पुष्कलावर्त विजय PUSHKALAVART VIJAY
११९. [प्र. ] कहि णं भन्ते ! महाविदेहे वासे पुक्खलावत्ते णामं विजए पण्णत्ते ?
[उ. ] गोयमा ! णीलवन्तस्स दाहिणेणं, सीआए उत्तरेणं, पंकावईए पुरथिमेणं, एक्कसेलस्स # वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, एत्थ णं पुक्खलावत्ते णामं विजए पण्णत्ते, जहा कच्छविजए तहा भाणिअव्वं
जाव पुक्खले अ इत्थ देवे महिड्डीए पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से एएणटेणं.। | चतुर्थ वक्षस्कार
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Fourth Chapter
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