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[Q] Reverend Sir! How many are the peaks of Chitrakoot Vakshaskar mountain?
[A.] Gautam ! It has four peaks. Siddhayatan peak (in the south of Chitrakoot), Chitra peak (in the north of Siddhayatan peak), Kutchh peak (in the north of Chitra peak) and Sukutchh peak (in the south of Kutchh peak). They are identical among themselves in the north-south direction. The first Siddhayatan peak is in the north of Sheeta river and the fourth Sukutchh peak is in the south of Neelavan Varshadhar mountain. A prosperous celestial being whose name is Chitrakoot resides there. The entire description up to capital city (Rajadhani) should be understood as mentioned earlier.
(२) सुकच्छ विजय SUKUTCHH VIJAY
११२. [ प्र. ] कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पण्णत्ते ?
[उ.] गोयमा ! सीआए महाणईए उत्तरेणं, णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं, गाहावईए महाणईए पच्चत्थिमेणं, चित्तकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे सुकच्छे णामं विजए पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए, जहेव कच्छे विजए तहेव सुकच्छे विजए, णवरं खेमपुरा रायहाणी, सुकच्छे राया समुप्पज्जइ तहेव सव्वं ।
[प्र.] कहि णं भन्ते ! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे गाहावइकुण्डे पण्णत्ते ?
[ उ. ] गोयमा ! सुकच्छविजयस्स पुरत्थिमेणं, महाकच्छस्स विजयस्स पच्चत्थिमेणं, णीलवन्तस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणिल्ले णितम्बे एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे गाहावइकुण्डे णामं कुण्डे पण्णत्ते, जहेव रोहिअंसाकुण्डे तहेव जाव गाहावइदीवे भवणे ।
तस्स णं गाहावइस कुण्डस्स दाहिणिल्लेणं तोरणेणं गाहावई महाणई पवूढा समाणी सुकच्छमहाकच्छविजए दुहा विभयमाणी २ अट्ठावीसाए सलिलासहस्सेहिं समग्गा दाहिणेणं सीअं महाणां समप्पेइ । गाहावई णं महाणई पवहे अ मुहे अ सव्वत्थ समा, पणवीसं जोअणसयं विक्खम्भेणं, अद्धाइज्जाई जोअणाई उब्वेहेणं, उभओ पासिं दोहि अ पउमवरवेइआहिं दोहि अ वणसण्डेहिं जाव दुण्हवि aण्णओ इति ।
११२. [ प्र. ] भगवन् ! जम्बू द्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सुकच्छ नामक विजय कहाँ पर है ?
[उ.] गौतम ! सीता महानदी के उत्तर में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, ग्राहावती महानदी के पश्चिम में तथा चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में जम्बू द्वीप के अन्तर्गत महाविदेह क्षेत्र में सुकच्छ नामक विजय है । वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है। उसका विस्तार आदि सब वैसा ही है, जैसा कच्छ विजय
चतुर्थ वक्षस्कार
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Fourth Chapter
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