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पण्णटिं च सहस्साई छच्च छत्तीसे जोअणसए परिक्खेवेणं, सेसं जहा चमरचंचाए रायहाणीए तहा पमाणं
भाणिअव्वं, महिडीए महज्जुईए। ॐ [प्र. ] से केणट्टेणं भन्ते ! एवं बुच्चइ मालवन्ते वक्खारपवए २ ? म [उ.] गोयमा ! मालवन्ते णं वक्खारपव्वए तत्थ तत्थ देसे तहिं २ बहवे सरिआगुम्मा,
णोमालिआगुम्मा जाव मगदन्तिआगुम्मा। ते णं गुम्मा दसद्धवणं कुसुमं कुसुमेंति, जे णं तं मालवन्तस्स ॐ वक्खारपव्वयस्स बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं वायविधु-अग्गसाल-मुक्कपुष्फपुंजोवयारकलिअं करेन्ति।
मालवंते अ इत्थ देवे महिडीए जाव पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ, अदुत्तरं । ॐ चणं णिच्चे।
१०९. [प्र. ] भगवन् ! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत पर हरिस्सह कूट नामक कूट कहाँ पर है ?
[उ. ] गौतम ! पूर्णभद्र कूट के उत्तर में, नीलवान् पर्वत के दक्षिण में हरिस्सह कूट नामक कूट है। वह एक हजार योजन ऊँचा है। उसकी लम्बाई, चौड़ाई आदि सब यमक पर्वत के सदृश है। मन्दर पर्वत ॐ के उत्तर में असंख्य तिर्यक् द्वीप-समुद्रों को लाँघकर अन्य जम्बू द्वीप के अन्तर्गत उत्तर में बारह हजार
योजन जाने पर हरिस्सह कूट के अधिष्ठायक हरिस्सह देव की हरिस्सहा नामक राजधानी आती है। वह ॐ ८४,००० योजन लम्बी-चौड़ी है। उसकी परिधि २,६५,६३६ योजन है। वह ऋद्धिमय तथा धुतिमय है। है उसका शेष वर्णन चमरेन्द्र की चमरचंचा नामक राजधानी के समान समझना चाहिए। ॐ [प्र. ] भगवन् ! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत-इस नाम से क्यों पुकारा जाता है ?
[उ. ] गौतम ! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत पर जहाँ-तहाँ बहुत से सरिकाओं, नवमालिकाओं, 卐 मगदन्तिकाओं आदि पुष्पलताओं के गुल्म-झुरमुट हैं। उन लताओं पर पँचरंगे फूल खिलते हैं। वे लताएँ
पवन द्वारा प्रकम्पित अपनी टहनियों के अग्र भाग से मुक्त हुए पुष्पों द्वारा माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत के
अत्यन्त समतल एवं सुन्दर भूमिभाग को सुशोभित, सुसज्जित करती हैं। वहाँ परम ऋद्धिशाली, एक म पल्योपम आयुष्य वाले माल्यवान् नामक देव निवास करता है। गौतम ! इस कारण वह माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत कहा जाता है। अथवा उसका यह नाम नित्य है।
109. (Q.] Reverend Sir ! On Malyavan Vakshaskar Mountain, where is Harissah peak located ? 1 (A.) In the north of Purnabhadra peak, and in the south of Neelwan
mountain, Harissah peak is located. It is 1,000 yojan high. Its length, i breadth and the like are the same as those of Yamak mountain. In the north of Mandar mountain, after crossing innumerable number of seas and islands in another Jambu continent in its north at a distance of 12,000 yojans there is Harissah, the capital city of Harissah god, the master of Harissah peak. It is 84,000 yojans in length and breadth. Its circumference is 2,65,636 yojans. It is prosperous and bright. The | चतुर्थ वक्षस्कार
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Fourth Chapter )))))))) ))))))))))))))))))))5558
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