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[उ. ] गोयमा ! मन्दरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, मालवन्तस्स कूडस्स दाहिण -पच्चत्थिमेणं एत्थ सिद्धाययणे कूडे पण्णत्ते । पंच जोअणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं, अवसिटं तं चैव जाव रायहाणी । एवं मालवन्तस्स कूडस्स, उत्तरकुरूकूडस्स, कच्छकूडस्स, एए चत्तारि कूडा दिसाहिं पमाणेहिं णेअव्वा, कूडसरिसणामया देवा ।
[प्र. ] कहि णं भन्ते ! मालवन्ते सागरकूडे णामं कूडे पण्णत्ते ?
[ उ. ] गोयमा ! कच्छकूडस्स उत्तरपुरत्थिमेणं, रययकूडस्स दक्खिणेणं एत्थ णं सागरकूडे णामं कूडे पण्णत्ते । पंच जोअणसयाई उद्धं उच्चत्तेणं, अवसिटं तं चेव, सुभोगा देवी, रायहाणी उत्तरपुरत्थिमेणं, रययकूडे भोगमालिणी देवी रायहाणी उत्तरपुरत्थिमेणं, अवसिट्ठा कूडा उत्तरदाहिणेणं णेअव्या एक्केणं 5 पमाणेणं ।
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१०८. [ प्र. ] भगवन् ! महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत माल्यवान् नामक वक्षस्कार पर्वत कहाँ बतलाया गया है ?
[ उ. ] गौतम ! मन्दर पर्वत के ईशान कोण में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण में, उत्तरकुरु पूर्व में, कच्छ नामक चक्रवर्ति - विजय के पश्चिम में महाविदेह क्षेत्र में माल्यवान् नामक वक्षस्कार पर्वत है। वह उत्तर-दक्षिण लम्बा एवं पूर्व-पश्चिम चौड़ा है। गन्धमादन का जैसा प्रमाण, विस्तार है, वैसा ही उसका है। इतना अन्तर है - वह सर्वथा वैदूर्य - रत्नमय है। बाकी सब वैसा ही है।
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गौतम ! यावत् कूट- पर्वत-शिखर नौ बतलाये गये हैं- (१) सिद्धायतन कूट, (२) माल्यवान् कूट, (३) उत्तरकुरु कूट, (४) कच्छ कूट, (५) सागर कूट, (६) रजत कूट, (७) शीता कूट, (८) पूर्णभद्र कूट, एवं (९) हरिस्सह कूट ।
[प्र.] भगवन् ! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत पर सिद्धायतन कूट नामक कूट कहाँ पर है ?
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[उ. ] गौतम ! मन्दर पर्वत के ईशान कोण में, माल्यवान् कूट के नैऋत्य कोण में सिद्धायतन नामक कूट बतलाया है। वह पाँच सौ योजन ऊँचा है। राजधानी पर्यन्त बाकी का वर्णन पूर्वानुरूप है। माल्यवान् कूट, उत्तरकुरु कूट तथा कच्छ कूट की दिशाएँ - सिद्धायतन कूट के सदृश हैं। अर्थात् वे चारों कूट प्रमाण, विस्तार आदि में एक समान हैं। कूटों के सदृश नामयुक्त देव उन पर निवास करते हैं।
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[प्र.] भगवन् ! माल्यवान् वक्षस्कार पर्वत पर सागर कूट नामक कूट कहाँ बतलाया गया है ?
[ उ. ] गौतम ! कच्छ कूट के ईशान कोण में और रजत कूट के दक्षिण में सागर कूट नामक कूट है। वह पाँच सौ योजन ऊँचा है। बाकी का वर्णन पूर्वानुरूप है। वहाँ सुभोगा नामक देवी निवास करती है। ईशान कोण में उसकी राजधानी है। रजत कूट पर भोगमालिनी नामक देवी निवास करती है। उत्तर - पूर्व में उसकी राजधानी है। बाकी के कूट- पिछले कूट से अगला कूट उत्तर में, अगले कूट में पिछला कूट दक्षिण में - इस क्रम से अवस्थित हैं, सब एक समान प्रमाणयुक्त हैं।
108. [Q.] Reverend Sir ! In Mahavideh region, where is Malyavan Vakshaskar Mountain located?
चतुर्थ
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Fourth Chapter
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