SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 342
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 卐 卐 5 卐 卐 yojan. Its shape is like that of Ruchak and is totally studded with jewels and clean. It is surrounded with two Padmavar Vedikas and two forests on two sides. In south its arc type length is 57,293 yojan and ten-nineteenth of a 5 There is an extremely levelled attractive area on Maha-Himavan Varshadhar mountain. It is bright due to many types of five coloured jewels and vegetables. The gods and goddesses reside there. 卐 महापद्मद्रह MAHAPADM DREH 5 5 ९७. [ १ ] महाहिमवंतस्स णं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महापउमद्दहे णामं दहे पण्णत्ते । दो 5 जोअणसहस्साइं आयामेणं, एगं जोअणसहस्सं विक्खंभेणं, दस जोअणाई उव्वेहेणं, अच्छे रययामयकूले 卐 एवं आयामविक्खंभविहूणा जा चैव पउमद्दहस्स वत्तव्यया सा चेव णेअव्या । पउमप्पमाणं दो जोअणाई अट्ठो 卐 जाव महापउमद्दहवण्णाभाई हिरी अ इत्थ देवी जाव पलिओवमट्ठिइया परिवसइ । फ्र 卐 5 फ्र फ़फ़ से एएणणं गोयमा ! एवं बुच्चइ, अदुत्तरं च णं गोयमा ! महापउमद्दहस्स सासए णामधिज्जे पण्णत्ते जंणं कयाइ णासी ३ | 卐 तस्स णं महापउमद्दहस्स दक्खिणिल्लेणं तोरणेणं रोहिआ महाणई पवूढा समाणी सोलस पंचुत्तरे 卐 जोअणसए पंच य एगूणवीसइभाए जोअणस्स दाहिणाभिमुही पव्वएणं गंता महया घडमुहपवित्तिएणं 卐 5 मुत्तावलिहारसंठिएणं साइरेगदोजोअणसइएणं पवाएणं पवडइ । रोहिआ णं महाणई जओ पवडइ एत्थ गं महंगा जिब्भिया पण्णत्ता । सा णं जिब्भिआ जोअणं आयामेणं, अद्धतेरसजोअणाई विक्खंभेणं, कोसं 5 बाहल्लेणं, मगरमुहविउट्ठसंटाणसंठिआ, सव्ववइरामई, अच्छा। 卐 रोहिआ णं महाई जहिं पवडइ एत्थ णं महं एगे रोहिअप्पवायकुंडे णामं कुंडे पण्णत्ते । सवीसं 卐 5 जोअणसयं आयामविक्खंभेणं पण्णत्तं तिण्णि असीए जोअणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, दस फ जोअणाई उब्वेहेणं, अच्छे, सण्हे, सो चेव वण्णओ। वइरतले, वट्टे, समतीरे जाव तोरणा । तस्स णं रोहिअप्पवायकुण्डस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे रोहिअदीवे णामं दीवे पण्णत्ते । 5 सोलस जोअणाई आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं पण्णासं जोअणाइं परिक्खेवेणं, दो कोसे ऊसिए जलंताओ, सव्ववइरामए, अच्छे से णं एगाए पउमवरवेइआए एगेण व वणसडेणं सव्यओ समंता संपरिक्खित्ते । रोहिअदीवस्स णं दीवस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते । तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे भवणे पण्णत्ते । कोसं आयामेणं, सेसं तं चेव पमाणं च अट्ठो अ भाणिअव्यो । फ्र ९७. [ १ ] महाहिमवान् पर्वत के बीचोंबीच महापद्मद्रह नामक द्रह है। वह दो हजार योजन लम्बा 5 तथा एक हजार योजन चौड़ा है। वह दस योजन जमीन में गहरा है। वह स्वच्छ- उज्ज्वल है, रजतमय 卐 तटयुक्त है। लम्बाई और चौड़ाई को छोड़कर उसका सारा वर्णन पद्मग्रह के सदृश है। उसके मध्य में जो 卐 5 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र Jambudveep Prajnapti Sutra फ्र Jain Education International (282) For Private & Personal Use Only फफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy