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understood as earlier mentioned in case of Sindhu Devi. The only difference is that Ganga Devi offered 1,008 pots full of jewels of various 卐 types, two thrones of gold studded with various types of precious stones in gold to king Bharat. Then king Bharat arranged for eight-day celebrations.
खण्डप्रपात - विजय के नट्टमालक देव द्वारा प्रीतिदान
OFFERING BY NATTMALAK DEV OF KHAND-PRAPAT VIJAY
卐 तए णं से भरहे राया जाव जेणेव खंडप्पवायगुहा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता सव्वा 5 कयमालवत्तव्वया णेअव्वा णवरं णट्टमालगे देव पीतिदाणं से आलंकारिअभंड कडगाणि अ सेसं सव्वं तहेव जाव अट्ठाहिआ महामहिमा ।
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८१. [ १ ] तए णं से दिव्वे चक्करयणे गंगाए देवीए अट्ठाहियाए महामहिमाए निव्वत्ताए समाणीए फ आउहघरसालाओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जाव गंगाए महाणईए पच्चत्थिमिल्लेणं कूलेणं 卐 5 दाहिणदिसिं खंडप्पवायगुहाभिमुहे पयाए यावि होत्था ।
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तणं से भर राया णट्टमालस्स देवस्स अट्ठाहिआए म णिव्वत्ताए समाणीए सुसेणं सेणावई सद्दावेइ, 5 सद्दावित्ता जाव सिंधुगमो णेअव्वो । जाव गंगाए महाणईए पुरत्थिमिल्लं णिक्खुडं सगंगासागर - गिरिमेरागं सम-विसम-णिक्खुडाणि अ आओवेइ आओवित्ता अग्गाणि वराणि रयणाणि पडिच्छइ पडिच्छित्ता जेणेव फ्र फ्र गंगामहाणई तेणेव उवागच्छइ २ त्ता दोच्चंपि सक्खंधावारबले गंगामहाणई विमलजलतुंगवीइं णावाभूएणं चम्मरयणेणं उत्तरइ उत्तरित्ता जेणेव भरहस्स रण्णो विजयखंधावारणिवेसे जेणेव बाहिरिआ उवट्ठाणसाला 5 तेणेव उवागच्छइ २ त्ता आभिसेक्काओ हत्थिरयणाओ पच्चोरुहइ २ त्ता अग्गाई वराई रयणाई गहाय जेणेव भरहे राया तेणेव उवागच्छइ २ त्ता करयलपरिग्गहिअं जाव अंजलिं कट्टु भरहं रायं जएणं विजएणं बद्धावेइ २ त्ता अग्गाई वराई रयणाई उवणेइ । तए णं से भरहे राया सुसेणस्स सेणावइस्स अग्गाई वराई रयणाई पडिच्छइ पडिच्छित्ता सुसेणं सेणावई सक्कारेइ सम्माणेइ सम्माणित्ता पडिविसज्जेइ । तए णं से सुसेणं सेणावई भरहस्स रण्णो सेसंपि तहेव जाव विहरइ ।
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८१. [१] गंगादेवी को साध लेने के उपलक्ष्य में आयोजित अष्ट दिवसीय महोत्सव सम्पन्न हो जाने पर वह दिव्य चक्ररत्न शस्त्रागार से बाहर निकला। बाहर निकलकर उसने गंगा महानदी के पश्चिमी किनारे दक्षिण दिशा में खण्डप्रपात गुफा की ओर प्रयाण किया ।
नृत्तमालक देव को विजय करने के उपलक्ष्य में आयोजित अष्ट दिवसीय महोत्सव के सम्पन्न हो जाने पर राजा भरत ने सेनापति सुषेण को बुलाया । यहाँ पर सिन्धुदेवी से सम्बद्ध प्रसंग जान लेना चाहिए।
(216)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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5 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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तब राजा भरत जहाँ खण्डप्रपात गुफा थी, वहाँ आया । यहाँ तमिस्रा गुफा के अधिपति कृतमाल देव से सम्बद्ध समग्र वर्णन के अनुसार यहाँ समझना चाहिए। केवल इतना - सा अन्तर है, खण्डप्रपात गुफा 5 के अधिपति नृत्तमालक देव ने प्रीतिदान के रूप में राजा भरत को आभूषणों से भरा हुआ पात्र, 5 कटक - हाथों के कड़े विशेष रूप में भेंट किये।
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