________________
$ 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95959
155555555555555555555555555555555555
चित्र परिचय ११
नमि - विनमि विद्याधरों द्वारा स्त्री - रत्न भेंट
ऋषभकूट पर्वत पर अपना नामांकन करने के पश्चात् राजा भरत चक्ररत्न के
- रत्न
चलते हुए दक्षिण वैताढ्य पर्वत की तलहटी में आये। वहाँ नमि-विनमि विद्याधरों को साधने हेतु तेले की तपस्या कर ध्यान में स्थिर हो गये । नमि - विनमि विद्याधरों ने अपने दिव्य ज्ञान से राजा भरत को देखा और परस्पर विचार कर चक्रवर्ती राजा को भेंट करने हेतु सुभद्रा नामक स्त्री-र लेकर (परम सुन्दरी सुभद्रा का रूप देवांगनाओं के सौन्दर्य को भी फीका करने वाला था ) आकाश मार्ग से वैताढ्य पर्वत की तलहटी में स्थित भरत चक्रवर्ती के पास पहुँचे और हवा अवस्थित हुये, 'चक्रवर्ती की जय विजय हो' उद्घोष कर कहा - "हे चक्रवर्ती ! हम आपको अपना राजा स्वीकार करते हैं। आप कृपया हमारे लाये हुए उपहार स्वीकार करें।" ऐसा विनमि ने स्त्री-रत्न और नमि ने रत्न आभरण भेंट किये। चक्रवर्ती भरत ने उपहार स्वीकार कर
कहकर
सुभद्रा से विवाह रचाया और नमि-विनमि का सत्कार सम्मान कर विदा किया।
Jain Education International
पीछे-पीछे
GIFT OF STREE-RATNA BY VIDYADHARS NAMI-VINAMI
After inscribing his name on Rishabh-koot mountain King Bharat followed the Chakra-ratna and arrived in the valley of southern Vaitadhya mountain. There he commenced a three day fast and sat still in meditation. With their divine power Vidyadhars called Nami-Vinami saw king Bharat. After mutual consultation they took along Subhadra, the Stree-ratna (a gem among women who overshined the beauty of divine damsels), a flew to Bharat Chakravarti in the valley of Vaitadhya mountain. There they hovered in the sky and after greeting the emperor with hails 5 of victory said "O Emperor! We accept you as our sovereign. Please accept the 5 gift we have brought for you." With these words Nami-Vinami offered the Streeratna and ornaments to the emperor. Bharat accepted the gifts and married Subhadra. He then bid Nami-Vinami farewell with due honor.
-
For Private & Personal Use Only
- वक्षस्कार ३, सूत्र ६९
$ 95 96 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95 95959
Vakshaskar-3, Sutra-69
555555555555556
www.jainelibrary.org