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________________ फफफफफफ 卐 卐 5 मुग्ग - मास - तिल - कुलत्थ-सट्ठिग-निप्फाब - चणग - कोद्दव - कोत्युं भरि - कंगुबरग - रालग-अणेग-5 卐 धण्णावरण - हारि अग-अल्लग- - मूलग - हलिद्द - लाउअ - तउस - तुंब - कालिंग - कविट्ठ - अंब - अंबिलिअ - 5 सव्वणिष्फायए सुकुसले गाहावइरयणेत्ति सव्वजणवीसुअगुणे । 卐 तणं से गाहावइरयणे भरहस्स रण्णो तद्दिवसप्पइण्णणिप्फाइअ - पूइ आणं सव्वधण्णाणं अगाई 5 कुंभसहस्साइं उबट्ठवेति, तए णं से भरहे राया चम्मरयणसमारूढे छत्तरयणसमोच्छन्ने मणि-रयणकउज्जोए फ समुग्गयभूणं सुहंसुहेणं सत्तरत्तं परिवसइ वि से खुहा ण विलिअं णेव भयं णेव भारहाहिवस्स रण्णो खंधावारस्सवि 5 तृतीय वक्षस्कार फ्र फफ विज्जए दुक्खं । तहेव ॥ 9 11 卐 फ्र ७६. राजा भरत ने छत्ररत्न को अपनी सेना पर तान दिया। यों छत्ररत्न को तानकर मणिरत्न का फ्र स्पर्श किया। यावत् उस मणिरत्न को राजा भरत ने छत्ररत्न के बस्तिभाग में- ( शलाकाओं के बीच में) स्थापित किया। राजा भरत के साथ गाथापतिरत्न - सैन्य - परिवार हेतु खाद्य, पेय आदि की समीचीन व्यवस्था करने वाला उत्तम गृहपति था। वह अपनी अनुपम विशेषता - योग्यता लिये था । शिला की ज्यों 5 अति स्थिर चर्मरत्न पर केवल वपन मात्र द्वारा शालि - उच्चजातीय चावल, जौ, गेहूँ, मूँग, उर्द, तिल, 卐 कुलथी, षष्टिक--तण्डुलविशेष, निष्पाव, चने, कोदों, कुस्तुंभरी, कंगु, वरक, रालक-मसूर आदि दालें, 5 धनिया, वरण आदि हरे पत्तों के शाक, अदरक, मूली, हल्दी, लौकी, ककड़ी (खीरा), तुम्बक, बिजौरा, कटहल, आम, इमली आदि समग्र फल, सब्जी आदि पदार्थों को उत्पन्न करने में वह समर्थ था। सभी 45 लोग उसके इन गुणों से सुपरिचित थे। 卐 5 卐 卐 5 卐 F 5 उस श्रेष्ठ गाथापति ने उसी दिन बोये हुए, पके हुए, तुष, भूसा आदि हटाकर साफ किये हुए सब 15 प्रकार के धान्यों के सहस्रों कुंभ राजा भरत को समर्पित किये। राजा भरत उस भीषण वर्षा के समय 5 चर्मरत्न पर आरूढ़ रहा, छत्ररत्न द्वारा आच्छादित रहा, मणिरत्न द्वारा किये गये प्रकाश में सात दिन- 5 रात सुखपूर्वक सुरक्षित रहा। 5 फ्र (गाथार्थ) उस अवधि में राजा भरत को तथा उसकी सेना को न भूख ने पीड़ित किया, न उन्होंने दैन्य का अनुभव किया और न वे भयभीत और दुःखित ही हुए । Jain Education International 5 फ्र 5 फ 76. King Bharat spread the divine umbrella (Chhatra Ratna) on his 5 army. Thereafter, he touched the divine precious stone (Mani Ratna) and fixed it in between the wires of the Chhatra Ratna. There was gathapati (householder) Ratna with king Bharat whose duty was to make proper arrangement of foods, drinks and the like for the armed forces and others. He had his own special capabilities in this respect. He was 卐 capable of growing on rock-like stable Charma Ratna best quality of rice, फ्र barley, wheat, pulses, namely til, kulath, shashtik (special type of rice), फ्र 5 nishpav, grams, kodas, kastumbhari, kangu, karak, masur, green leaves 5 5 like dhaniya, varan and the like, ginger, radish, turmaric, gourd, फ्र 卐 5 Third Chapter (201) फ्र ***தத**************************தததத For Private & Personal Use Only 卐 5 5 卐 卐 www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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