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ॐ का मध्य भाग, उत्तम है, धुरा के दोनों कोने उत्तम हैं, अग्र भाग उत्तम वज्ररत्न से बँधे हुए हैं, उत्तम म सुवर्ण से विभूषित हैं, श्रेष्ठ शिल्पी द्वारा निर्मित हैं, श्रेष्ठ घोड़े जुते हुए हैं जो उत्तम सारथी के द्वारा
चलाये जाते हैं, उत्तम पुरुषों के बैठने के योग्य उत्तम महारथ है तथा जो श्रेष्ठ रनों से सुशोभित है, ॐ सुवर्ण निर्मित धुंघरुओं से शोभायमान है, अयोध्य है अर्थात् जिसका सामना कोई योद्धा नहीं कर सकता
है, जिसका रंग बिजली के समान तपाये हुए सोने, पंकज, जपा पुष्प, ज्वाला और तोते की चोंच के ॐ समान लाल है, रथ की कांति आधी गुम्मची, बंधुजीवक, रक्तहिंगलुक के समूह, सिंदूर, रुचिर, कुंकुम, * +कबूतर के पैर, कोयल की आँख, अधरोष्ठ, रतिद, अत्यधिक लाल अशोक वृक्ष, कनक, तपाया हुआ 5
सुवर्ण, किंशुक, पलाश पुष्प, गजतालु, इन्द्रगोप; इन सभी पदार्थों तथा बिम्बफल शिलाप्रवाल-मूंगा, ॐ उगते हुए सूर्य जैसी लाल प्रभाव वाली है, जिस रथ पर सब ऋतुओं के सुगन्धित पुष्पों की मालाएँ
लटक रही हैं, उन्नत श्वेत ध्वज फहरा रहा है, महामेघ की गर्जना जैसा गम्भीर और स्निग्ध जिसका ॐ घोष है, शत्रुओं के हृदय में कैंपकपी मचा देने वाला है, पृथ्वी विजय लाभ के नाम से प्रसिद्ध है तथा लोक 卐 में जिसका यश फैला हुआ है, सब अवयवों से युक्त है, चार घंटाओं से जो युक्त है ऐसे अश्व रथ पर .
प्रातःकाल में वह शोभा-सम्पन्न राजा भरत आरूढ़ हुआ। म इसके बाद का समग्र वर्णन पूर्व में कहे अनुसार समझना चाहिए कि चातुर्घटक रथ पर आरूढ़ हुआ है
राजा भरत वरदाम तीर्थ से दक्षिण दिशावर्ती लवणसमुद्र में उतरा-यावत् उस उत्तम रथ के कूप-धुरी ॐ तक का अवयव विशेष-भीग गये-यावत् वरदाम तीर्थाधिपति से प्रीतिदान ग्रहण किया। लेकिन इतना भी विशेष समझना कि चूड़ामणि-मुकुट वक्षस्थल पर पहनने का दिव्य आभूषण कटिसूत्र-कदोरा, कडा, ॐ तोडा पहने हुए यावत् मैं दक्षिण दिशा का अन्तपाल हूँ। यहाँ तक का वर्णन पूर्वानुसार समझें। आठ दिन का महोत्सव करता है, उत्सव करके आदेशानुसार कार्य सम्पन्न होने की सूचना देता है।
61. That chariot is very fast in running on the ground. It is very beautiful in view of many auspicious symbols. It is made of special wood of wonderful Tinis tree. That tree grows in the caves of Himavat mountain where there is no wind and develops there. Its yoke is made of Jambunad gold. The rods in the wheel are made of gold. It is decorated
with many types of gems namely Pulak, Indraneel jewel, Sasak, Praval, 45 Sphatik, excellent jewel, leshth, vidrum precious stone and the like. The 4 wheel has 48 divisions whose centre is made of gold and they have been 4 uniformly and firmly fixed on a belt which has been brightened by
rubbing and made soft. It has been joined with the latest iron nails. In other words in order to make it strong the nails and plates have been fixed at various places. Its wheels are as round as the Chakra Ratna, the weapon for attack used by Vasudev. Its mesh and holes have been made of Karketan gem, Indraneel precious stone, Sasak and the like whose centre is good wide spread and without any bend. It is well secured like an ideal city from all sides. The reins of the horses are made of well
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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(160)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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