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[उ. ] गौतम ! उन मनुष्यों के छह प्रकार के संहनन एवं संस्थान होंगे। उनकी ऊँचाई सात हाथ की 卐 होगी। उनका जघन्य अन्तर्मुहूर्त का तथा उत्कृष्ट कुछ अधिक तेतीस वर्ष अधिक सौ वर्ष (१३३) का है + आयुष्य होगा। आयुष्य को भोगकर उनमें से कई नरक गति में, (कई तिर्यंच गति में, कई मनुष्य गति म में), कई देव गति में जायेंगे। किन्तु सिद्ध नहीं होंगे।
50. [1] [Q.] Reverend Sir ! What shall be the shape of Bharat area in the second aeon dukhma of Utsarpani time-cycle ?
(Ans.] Gautam ! Its land shall be very much levelled and worth seeing. It shall shine with artificial and natural gems of five colours.
[Q.] Reverend Sir ! What shall be the shape and structure of human beings then ?
(Ans.] Gautam ! Those people shall have all six types of bonestructure and all the six types of shape. Their height shall be seven haath. Their minimum life-span shall be less than 48 minutes (antar muhurt) and the maximum 133 years. After completing their life-span some shall take re-birth in hell, some as sub-humans, some as humans and some as celestial beings. But none shall attain liberation in that period. दुषम-सुषमा आरक DUKHAM-SUKHMA AEON
५०. [२] तीसे णं समाए एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं काले वीइक्कंते अणंतेहिं वण्णपज्जवेहिं जाव (सूत्र २८ वत्) परिवड्ढेमाणे २ एत्थ णं दुस्सम-सुसमा णामं समा काले पडिवजिस्सइ समणाउसो !
[प्र. ] तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स केरिसए आयारभावपडोयारे भविस्सइ ? [उ. ] गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे अकित्तिमेहिं चेव।. [प्र. ] तेसि णं भंते ! मणुआणं केरिसए आयारभावपडोयारे भविस्सइ ?
[उ. ] गोयमा ! तेसि णं मणुआणं छविहे संघयणे, छबिहे संठाणे, बहूई धणूई उद्धं उच्चत्तेणं, + जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुचकोडीआउअं पालिहिंति, पालेत्ता अप्पेगइआ णिरयगामी, है
(अप्पेगइआ तिरियगामी, अप्पेगइआ मणुयगामी; अप्पेगइआ देवगामी, अप्पेगइआ सिझंति बुझंति मुच्चंति परिणिव्वायंति सव्वदुक्खाणं) अंतं करेहिति।
तीसे णं समाए तओ वंसा समुप्पज्जिस्संति, तं जहा-तित्थगरवंसे, चक्कवट्टिवंसे, दसारवंसे। तीसे णं समाए तेवीसं तित्थगरा, एक्कारस चक्कवट्टी, णव बलदेवा, णव वासुदेवा समुप्पज्जिस्संति।
५०. [ २ ] आयुष्मन् श्रमण गौतम ! उस आरक के इक्कीस हजार वर्ष व्यतीत हो जाने पर ++ उत्सर्पिणी काल का दुषम-सुषमा नामक तृतीय आरक आरम्भ होगा। उसमें अनन्त वर्ण-पर्याय आदि
क्रमशः परिवर्द्धित होते जायेंगे।
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| जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(120)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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