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चित्र परिचय १७
दस आश्चर्य (२)
(६) चन्द्र-सूर्य देव अपने विमान सहित भगवान के दर्शन करने एक साथ समवसरण में आये । (७) हरिवंश कुल की उत्पत्ति - हरिवर्ष में जन्मे युगलिक को देवता चम्पानगरी में उठाकर ले आय और वहाँ का राजा बना दिया। जिससे हरिवंश कुल की उत्पत्ति हुई ।
(८) असुरराज चमरेन्द्र ने शक्र की सौधर्म सभा में जाकर उत्पात मचाया। शक्र द्वारा वज्र फैंकने पर बचने के लिए भागकर ध्यानस्थ श्रमण भगवान महावीर के चरणों में शरण ली।
Illustration No. 17
(९) तीसरे आरे में उत्कृष्ट अवगाहना वाले एक सौ आठ मुनि एक साथ सिद्ध हुए । (१०) असंयति पूजा - भगवान सुविधिनाथ के शासनकाल पश्चात् असंयति जनों की पूजा बढ़ी।
- स्थान १०, सूत्र १६८
TEN ASHCHARYAS (MIRACLES)-II
(6) Descending of gods Chandra and Surya with their vimaans in the Samavasaran together to pay homage to Bhagavan Mahavir.
(7) Origin of the Harivamsha lineage - Gods brought twins from Harivarsh area to Champanagari and made them rulers. This was the origin of the Harivamsha clan.
(8) Chamarendra, the king of Asurs came to Shakra's assembly and created disturbance. When Shakra launched his Vajra Chamar flew and took refuge at the feet of meditating Bhagavan Mahavir.
(9) One hundred and eight ascetics of largest physique attained the Siddha status at once during the third epoch of this cycle.
(10) The worship of non-ascetics increased after the period of influence of Bhagavan Suvidhinaath.
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- Sthaan 10, Sutra 160
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