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| चित्र परिचय १६ ।
Illustration No. 16 दस आश्चर्य (१) जो घटना चिरकाल के पश्चात् असामान्य रूप से होती है, उसे आश्चर्य कहा जाता है। इस अवसर्पिणीकाल में दस आश्चर्य निम्न प्रकार हुए
(१) उपसर्ग-तीर्थंकरों को उपसर्ग : जैसे गोशालक ने भगवान महावीर पर तेजोलेश्या का प्रयोग किया।
(२) गर्भ-हरण-भगवान महावीर का देवानन्दा के गर्भ से त्रिशला माता के गर्भ में स्थानान्तरण। (३) स्त्री-तीर्थंकर-भगवान मल्लीनाथ स्त्री देह में तीर्थंकर हुए। (४) अभावित परिषद्-भगवान महावीर की प्रथम धर्मदेशना में किसी ने चारित्र ग्रहण नहीं किया।
(५) श्रीकृष्ण वासुदेव का धातकीषण्ड की अपर कंकानगरी में गमन तथा कपिल वासुदेव के शंख ध्वनि करने पर दोनों वासुदेवों का शंख ध्वनि से मिलन हुआ। एक वासुदेव की सीमा में दूसरे वासुदेव का जाना आश्चर्य है।
-स्थान १०, सूत्र १६० (क्रमशः अगले पृष्ठ पर)
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TEN ASHCHARYAS (MIRACLES)-I Unusual happenings after a prolonged gap are called ashcharya or miracles. The ten miracles of the current regressive cycle are as follows
(1) Upasarg (affliction)-Afflictions on Tirthankars. For example Bhagavan Mahavir had to endure the tejoleshya of Goshalak.
(2) Garbhaharan-The transplantation of embryo (to be Bhagavan Mahavir) from the womb of Devananda to mother Trishala.
(3) Female Tirthankar-Bhagavan Mallinaath became Tirthankar with female body.
(4) Abhavit Parishat-In the first sermon of Bhagavan Mahavir no listener got initiated.
(5) Krishna going to Amarkanka city (in Dhatakikhand) and exchanging of conch-shell sounds with another Vaasudev, Kapil, there. Going of one Vaasudeva in the territory of another is a miracle.
-Sthaan 10, Sutra 160 (continue on next page)
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