________________
மிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமித
(२) यदि कोई व्यक्ति तथारूप (तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण - माहन की अत्याशातना करता है, उसकी अत्याशातना करने पर उस श्रमण की सेवा में रहने वाला कोई देव कुपित होता है। तब उस देव के शरीर से तेज निकलता है। वह तेज उस उपसर्ग करने वाले को परितापित करता है और परितापित कर उस तेज से उसे भस्म कर देता है।
(३) कोई व्यक्ति तथारूप (तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण-माहन की अत्याशातना करता है। उस असह्य अत्याशातना से परिकुपित हो, वह श्रमण-माहन और परिकुपित देव दोनों ही उसे मारने की प्रतिज्ञा करते हैं। तब उन दोनों के शरीर से तेज निकलता है। वे दोनों तेज उस उपसर्ग करने वाले व्यक्ति को परितापित करते हैं और परितापित करके उसे उस तेज से भस्म कर देते हैं।
(४) कोई व्यक्ति तथारूप (तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण - माहन की अत्याशातना करता है। वह उस अत्याशातना से परिकुपित होता है, तब उसके शरीर से तेज निकलता है, उससे उस उपसर्ग कर्ता व्यक्ति शरीर में स्फोट (फोड़े-फफोले ) उत्पन्न होते हैं। वे फोड़े फूटते हैं और फूटते हुए उसे उस तेज से भस्म कर देते हैं।
फ्र
(५) कोई व्यक्ति तथारूप ( तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण - माहन की अत्याशातना करता है। उसके अत्याशातना करने पर कोई देव परिकुपित होता है, तब उसके शरीर से तेज निकलता है, उससे उस उपसर्ग करने वाले व्यक्ति के शरीर में स्फोट (फोड़े) उत्पन्न होते हैं। वे स्फोट फूटते हैं और उस तेज से वह भस्म हो जाता है।
(६)
कोई व्यक्ति तथारूप ( तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण - माहन की अत्याशातना करता है। उसके अत्याशातना करने पर परिकुपित वह श्रमण-माहन और परिकुपित देव, ये दोनों ही उसे मारने की प्रतिज्ञा करते हैं । तब उन दोनों के शरीरों से तेज निकलता है। उससे उस उपसर्ग कर्ता के शरीर में स्फोट उत्पन्न होते हैं । वे स्फोट फूटते हैं और फूटते हुए उसे उस तेज से भस्म कर देते हैं।
(७) कोई व्यक्ति तथारूप (तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण-माहन की अत्याशातना करता है। उससे कुपित होकर वह तेज छोड़ता है। उससे उस व्यक्ति के शरीर में स्फोट उत्पन्न होते हैं। वे स्फोट फूटते हैं तब उनमें से पुल - ( छोटी-छोटी फुंसियाँ उत्पन्न होती हैं । वे फूटती हैं और फूटती हुई उस तेज से उसे भस्म ५ डालती हैं।
स्थानांगसूत्र (२)
(८) कोई व्यक्ति तथारूप (तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण - माहन की अत्याशातना करता है। उसके अत्याशातना करने पर कोई देव परिकुपित होता है, तब उसके शरीर से तेज निकलता है, उससे उस
व्यक्ति के शरीर में स्फोट उत्पन्न होते हैं । वे स्फोट फूटते हैं, तब उनमें पुल - (फुंसियाँ) निकलती हैं। वे ५ फूटती हैं और फूटती हुई उस तेज से उसे भस्म कर देती हैं।
*******
y
(९) कोई व्यक्ति तथारूप (तेजोलब्धिसम्पन्न ) श्रमण माहन की अत्याशातना करता है। उसके 4 अत्याशातना करने पर परिकुपित वह श्रमण-माहन और परिकुपित देव दोनों ही उसे मारने की प्रतिज्ञा करते हैं । तब उन दोनों के शरीरों से तेज निकलता है। उससे उस व्यक्ति के शरीर में स्फोट उत्पन्न होते ५
(556)
Jain Education International
L
For Private & Personal Use Only
Sthaananga Sutra (2) ५
27 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 2
Y
www.jainelibrary.org