________________
2 55 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 55 5 5 5 5 595555552
फफफफफफफफफफफफफ
alkali and acid destroy living organism turning sachit plants to achit plants. Same is true for oily things. That is why these things have been ! included in weapons.
दोष-पद DOSH PAD (SEGMENT OF FAULTS) ९४. दसविहे दोसे पण्णत्ते, तं जहा
तज्जातदोसे मतिभंगदोसे, पसत्थारदोसे परिहरणदोसे । सलक्खण-वक्कारण- - हेउदोसे, संकामणं णिग्गह- वत्थुदोसे ॥ १ ॥
९४. पारस्परिक तत्त्व चर्चा शास्त्रार्थ या वाद विवाद के दस प्रकार के दोष हैं। जैसे(१) तज्जात - दोष - वादकाल में प्रतिवादी से क्षुब्ध होकर उसके वैयक्तिक दोषों को प्रकट करना या चुप रह जाना । (२) मतिभंग-दोष - प्रतिपक्षी के आक्षेप का उत्तर न दे पाना या भयादि के कारण तत्त्व को भूल जाना । ( ३ ) प्रशास्तृ-दोष - सभ्य या सभाध्यक्ष की ओर से होने वाला पक्षपात आदि दोष । ५ (४) परिहरण - दोष-वादी के द्वारा दिये गये दोष का छल या जाति से परिहार करना ।
( ५ ) स्वलक्षण-दोष - वस्तु के निर्दिष्ट लक्षण में अव्याप्ति, अतिव्याप्ति या असम्भव दोष का होना ।
卐
मानना । ( ७ ) हेतु-दोष - हेतु का असिद्धता, विरुद्धता आदि दोष से दोषयुक्त होना । (८) संक्रमण-दोष -
फ प्रस्तुत प्रमेय को छोड़कर अप्रस्तुत प्रमेय की चर्चा करना । ( ९ ) निग्रह - दोष - छल, जाति, वितण्डा आदि
5 के द्वारा प्रतिवादी को निगृहीत करना । (१०) वस्तुदोष - पक्ष सम्बन्धी प्रत्यक्षनिराकृत, अनुमाननिराकृत आदि दोषों में से कोई दोष होना। (विस्तार के लिए देखें-हिन्दी टीका, भाग २, पृष्ठ ७७४ । ठाणं, पृष्ठ ९८६)
(६) कारण-दोष - कारण - सामग्री के एक अंश को कारण मान लेना, या पूर्ववर्ती होने मात्र से कारण ५
94. There are ten faults of mutual discussion or debate - ( 1 ) Tajjat- 4 dosh-to expose personal drawbacks of the opponent during a debate or remain silent when irritated by him. (2) Matibhang-dosh-inability to
counter the charges made by the opponent or to forget the points out of Y 5 fear. (3) Prashaasrit-dosh — faults committed by the chairperson or g
卐
H made by the opponent. (5) Svalakshan-dosh — faults of irrelevance,
卐
5 experts. (4) Pariharan-dosh — to deceitfully evade or neglect the charges!
(6) Kaaran-dosh-to accept a part of the causal material as the cause or
exaggeration and impossibility in the stated attributes of a thing. 4
to accept a point as a cause just because of precedence. (7) Hetu-dosh
Y
५
y
5 faults of reasoning including unauthenticity, irrelevance and
卐
5 antitheticity. ( 8 ) Sankraman-dosh — the fault of shifting from the 4 prescribed topic to some other topic. (9) Nigraha-dosh-to silence the opponent by deceit, belligerence and other such means. (10) Vastu-doshfaults related to the basic theme of the opponent such as apparent fault 5 or conceptual fault.
卐
स्थानांगसूत्र (२)
(514)
Jain Education International
Sthaananga Sutra (2)
For Private & Personal Use Only
५
५
५
2555 5555555 5 5 5 5 55555555 5 55 555 55552
Y
www.jainelibrary.org