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5 55555559 infinite Samayas of the past. (7) Duidha-anant-bi-directional infinite 4 such as counting infinite Samayas of the past as well as the future. 卐 (8) Desh-vistar-anant-the endlessness of the expanse of space in one + specific direction. (9) Sarva-vistar-anant-the endlessness of the overall
expanse of space. For example Akashastikaya has infinite space-points. (10) Shashvat-anant-eternally infinite, such as entities like soul that
are without a beginning or an end. 5 geargau PURVAVASTU-PAD (SEGMENT OF PURVAVASTU)
६७. उप्पायपुवस्स णं दस वत्थू पण्णत्ता। ६८. अत्थि-णत्थिप्पवायपुबस्स णं दस चूलवत्थू ॐ पण्णत्ता।
६७. उत्पादपूर्व (प्रथम पूर्व) के वस्तु नामक (बड़े अध्ययन) दस अध्ययन हैं। ६८. अस्तिम नास्तिप्रवादपूर्व (चौथा पूर्व) के चूलावस्तु नामक दस लघु अध्ययन हैं।।
67. The Vastu division of Utpaad Purva (the first volume of the fourteen volume subtle canon) has ten chapters. 68. Asti-nastipravada Purva (the fourth Purva) has ten small chapters called Chulavastu. प्रतिसेवना-पद PRATISEVANA-PAD (SEGMENT OF MISCONDUCT) ६९. दसविहा पडिसेवणा पण्णत्ता, तं जहा
दप्प पमायऽणाभोगे, आउरे आवतीसु य।
संकिते सहसक्कारे, भयप्पओसा य वीमंसा ॥१॥ (संग्रहणी गाथा) ६९. प्रतिसेवना दश प्रकार की है, जैसे-(१) दर्पप्रतिसेवना, (२) प्रमादप्रतिसेवना, E (३) अनाभोगप्रतिसेवना, (४) आतुरप्रतिसेवना, (५) आपत्प्रतिसेवना, (६) शंकितप्रतिसेवना, ॐ (७) सहसाकरणप्रतिसेवना, (८) भयप्रतिसेवना, (९) प्रदोषप्रतिसेवना, (१०) विमर्शप्रतिसेवना।
69. Pratisevana (misconduct) is of ten kinds—(1) darp-pratisevana, (2) pramad-pratisevana, (3) anabhog-pratisevana, (4) aatur-pratisevana,
(5) apatpratisevana, (6) shankit-pratisevana, (7) sahasakaranॐ pratisevana, (8) bhayapratisevana, (9) pradosh-pratisevana, and 卐 (10) vimarsh-pratisevana.
विवेचन-गृहीत व्रत की मर्यादा के प्रतिकूल आचरण करने को प्रतिसेवना कहते हैं। प्रतिसेवनाओं 卐 का स्पष्टीकरण इस प्रकार है
(१) दर्पप्रतिसेवना-दर्प या उद्धत भाव से गमन आदि क्रियाएँ करना।
(२) प्रमादप्रतिसेवना-विकथा आदि प्रमाद के वश दोष सेवन करना। ___(३) अनाभोगप्रतिसेवना-विस्मृतिवश अनजाने या उपयोगशून्यता से अयोग्य आचरण करना।
गागा1248
स्थानांगसूत्र (२)
(496)
Sthaananga Sutra (2)
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