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卐 (5) Arpitanarpitanuyoga-The basic or important meaning or 5 property of a word or thing is called arpit and the auxiliary or ordinary one is called anarpit. This anuyoga deals with attributes and modes of all entities in context of important and ordinary.
(6) Bhaavitabhaavitanuyoga-This anuyoga discusses the influence or absence of influence of one entity on another. For example a soul with passion is influenced by good or bad surroundings, whereas one without passions is not.
(7) Bahyabahyanuyoga-This anuyoga deals with mutual differences among entities or uniqueness of each entity.
(8) Shashvatashashvatanuyoga-This anuyoga deals with the permanent and impermanent properties of entities.
(9) Tathajnananuyoga-This anuyoga elaborates the real forms of entities exactly as they are.
(10) Atathajnananuyoga-This anuyoga deals with unreal forms of entities as propagated by heretics.
उत्पातपर्वत - पद UTPATAPARVAT-PAD (SEGMENT OF UTPATAPARVAT)
४७. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तिगिंछिकूडे उप्पातपव्वते मूले दस बावीसे जोयणसते विक्खंभेणं पण्णत्ते । ४८. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो सोमप्प उप्पातपव्वते दस जोयणसयाई उड्डुं उच्चत्तेणं, दस गाउयसताइं उब्वेहेणं, मूले दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पण्णत्ते । ४९. चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो जमस्स महारण्णो जमप्प उप्पातपव्यते एवं चेव । ५०. एवं वरुणस्सवि । ५१. एवं वेसमणस्सवि ।
४७. असुरेन्द्र, असुरकुमारराज चमर का तिगिंछकूट ( असंख्यद्वीप समुद्रों को लाँघकर अरुणवर समुद्र में स्थित ) नामक उत्पात पर्वत मूल में दस सौ बाईस (१०२२) योजन विस्तृत है । ४८. असुरेन्द्र, असुरकुमारराज चमर के लोकपाल महाराज सोम का सोमप्रभ नामक उत्पातपर्वत दस सौ (१०००) योजन ऊँचा, दस सौ कोश भूमि में गहरा और मूल में दस सौ (१०००) योजन चौड़ा है। ४९. असुरेन्द्र, असुरकुमारराज चमर के लोकपाल यम महाराज का यमप्रभ नामक उत्पातपर्वत सोम के उत्पातपर्वत के समान ही ऊँचा, गहरा और विस्तार वाला है । ५०. इसी प्रकार वरुण लोकपाल का वरुणप्रभ उत्पातपर्वत और ५१. वैश्रमण लोकपाल का वैश्रमणप्रभ उत्पातपर्वत भी जानना चाहिए ।
47. Tingichha koot, the Utpat parvat of Chamar Asurendra, the king of Asur Kumar gods, (located beyond innumerable islands and seas in Arunavar Samudra) is ten hundred twenty two (1022) Yojan wide at its base. 48. Somaprabh, the Utpat parvat of Soma, the lok-paal of Chamar
दशम स्थान
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