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स्वप्न में ली जाने वाली दीक्षा । जैसे पुष्पचूला ने। (५) प्रतिश्रुताप्रव्रज्या - पहले की हुई प्रतिज्ञा के कारण ली जाने वाली दीक्षा । जैसे मलयकुमार ने । (६) स्मारणिकाप्रव्रज्या - पूर्व जन्मों का स्मरण होने पर ली जाने वाली दीक्षा । जाति स्मरण ज्ञान होने या ज्ञान कराने से । जैसे मल्ली भगवती ने छह राजाओं को प्रतिबोध दिया । (७) रोगिणिकाप्रव्रज्या - रोग के हो जाने पर ली जाने वाली दीक्षा । जैसे- सनत्कुमार चक्रवर्ती ने (८) अनादृताप्रव्रज्या - अनादर होने पर ली जाने वाली दीक्षा । जैसे नन्दीषेण तथा हरिकेश बल ने । ५ (९) देवसंज्ञप्तिप्रव्रज्या - देव के द्वारा प्रतिबुद्ध करने पर ली जाने वाली दीक्षा । जैसे तेतली प्रधान ने तथा मैतार्य ने। (१०) वत्सानुबन्धिकाप्रव्रज्या - दीक्षित होते हुए पुत्र के स्नेह निमित्त से ली जाने वाली दीक्षा । ५ 5 जैसे भृगु पुरोहित ने तथा वज्र स्वामी की माता ने। (हिन्दी टीका पृष्ठ ७०९ )
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15. Pravrajya (initiation) is of ten kinds-(1) Chhanda pravrajya-toy get initiated by one's own or others' desire; as Bhavadatt got on advise of y 5 elder brother Bhaavadatt, also as Govindacharya got. (2) Rosha ५ pravrajya-to get initiated due anger; as Shivabhuti Malla got. (3) Paridyuna pravrajya-to get initiated due to poverty; as the woodcutter got by Sudharma Swami. (4) Svapna pravrajyn-to get initiated y by being inspired in a dream or that got in dream; as Pushpachula got. 5 (5) Pratishruta pravrajya-to get initiated due to promise given in the 卐 past; as Malaya Kumar got. (6) Smaranika pravrajya-to get initiated due to some memories from the past birth. In other words, on attaining or inspiring jati-smaran-jnana; as Malli Bhagavati enlightened six 5 kings. ( 7 ) Roginika pravrajya — to get initiated due to ailment; as Santkumar Chakravarti got. (8) Anadrita pravrajya-to get initiated due to being insulted; as Nandishen and Harikeshabal got. (9) Devasanjapti pravrajya-to get initiated due to being enlightened by some god; as Tetali Pradhan and Maitarya got. (10) Vatsanubandhika pravrajya-to
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get initiated due to love for one's son who is getting initiated; as Bhrigu
Purohit and Vajra Swami's mother got. (for more details see appendix-3; Hindi Tika, part-2, p. 709 )
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श्रमण धर्म - पद SHRAMAN DHARMA-PAD (SEGMENT OF SHRAMAN DHARMA
१६. दसविधे समणधम्मे पण्णत्ते, तं जहा-खंती, मुत्ती, अज्जवे, मद्दवे, लाघवे, सच्चे, संजमे,
तवे, चियाए, बंभचेरवासे ।
१६. श्रमण - धर्म दस प्रकार का है - (१) क्षान्ति (क्षमा धारण करना), (२) मुक्ति (लोभ नहीं करना), फ्रं (३) आर्जव ( मायाचार नहीं करना), (४) मार्दव (अहंकार नहीं करना), (५) लाघव (गौरव नहीं रखना),
(६) सत्य (सत्य वचन बोलना ), (७) संयम धारण करना, (८) तपश्चरण करना, (९) त्याग ( साम्भोगिक
साधुओं को भोजनादि देना), (१०) ब्रह्मचर्यवास (ब्रह्मचर्यपूर्वक गुरुजनों के पास रहना ।
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卐 स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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