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लोकस्थिति-पद LOKASTHITI-PAD (SEGMENT OF STATE OF OCCUPIED SPACE)
१. दसविधा लोगट्टिती पण्णत्ता, तं जहा
दशम स्थान TENTH STHAAN (Place Number Ten)
( १ ) जण्णं जीवा उद्दाइत्ता - उद्दाइत्ता तत्थेव - तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायंति - एवं एगा लोगट्टिती पण्णत्ता ।
(२) जण्णं जीवाणं सया समितं पावे कम्मे कज्जति - एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता । (३) जण्णं जीवाणं सया समितं मोहणिज्जे पावे कम्मे कज्जति - एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता । ( ४ ) ण एवं भूतं वा भव्वं वा, भविस्सति वा जं जीवा अजीवा भविस्संति, अजीवा वा जीवा भविस्संति - एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता ।
(५) ण एवं भूतं वा भव्वं वा भविस्सति वा जं तसा पाणा वोच्छिज्जिस्संति थावरा पाणा
भविस्संति, थावरा पाणा वोच्छिज्जिस्संति तसा पाणा भविस्संति - एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता ।
(६) ण एवं भूतं वा भव्वं वा भविस्सति वा जं लोगे अलोगे भविस्सति, अलोगे वा लोगे भविस्सति - एवंप्पेगा लोगट्टिती पण्णत्ता ।
(७) ण एवं भूतं वा भव्वं वा भविस्सति वा जं लोए अलोए पविस्सति, अलोए वा लोए पविस्सति - एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता ।
(८)
जाव ताव लोगे ताव ताव जीवा, जाव ताव जीवा ताव ताव लोए- एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता । (९) जाव ताव जीवाण य पोग्गलाण य गतिपरियाए ताव ताव लोए, जाव ताव लोगे ताव ताव ५ जीवाण य पोग्गलाण य गतिपरियाए एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता ।
(१०) सव्र्व्वसुवि णं लोगंतेसु अबद्धपासपुट्टा पोग्गला लुक्खत्ताए कज्जंति, जेणं जीवा य पोग्गला यणो संचायंति बहिया लोगंता गमणयाए - एवंप्पेगा लोगट्ठिती पण्णत्ता ।
१. लोक स्थिति अर्थात् लोक का स्वभाव दस प्रकार का है
(१) जीव बार-बार मरते हैं और वहीं (लोक में उन्हीं में प्रदेशों पर) बार-बार उत्पन्न होते हैं।
(२) जीव को निरन्तर प्रतिक्षण पाप कर्म का बन्ध होता रहता है।
(३) जीव प्रतिक्षण मोहनीय पापकर्म का बन्ध करते हैं ।
स्थानांगसूत्र (२)
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Sthaananga Sutra (2)
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