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के संचय है और तीसरे भाग में रत्नमय ग्रन्थों का संग्रह है। इन ग्रन्थों में महानिधियों के उपयोग-प्रयोग का है सब ज्ञान भरा है। संक्षेप में इन नौ महानिधियों को ज्ञान की इन शाखाओं से सम्बद्ध मान सकते हैं।
(१) नैसर्पनिधि-वास्तु शास्त्र। (२) पांडुक निधि-गणित शास्त्र। (३) पिंगल निधि-मंडन शास्त्र या शृंगार प्रसाधन साधन। (४) सर्व रत्न निधि-लक्षण शास्त्र। (५) महापद्म निधि-वस्त्र-उत्पत्ति व निर्माण
शास्त्र। (६) काल निधि-काल विज्ञान, शिल्प विज्ञान, कृषि विज्ञान और कर्म विज्ञान का प्रतिपादक ॐ महाग्रन्थ। इसमें सौ प्रकार के शिल्पों का वर्णन है। (७) महाकाल निधि-धातु शास्त्र। (८) माणवक निधि
राजनीति व दण्ड शास्त्र। (९) शंख निधि-नाट्य व वाद्य शास्त्र। (हिन्दी टीका, भाग २, पृष्ठ ६२३ । ठाणं पृष्ठ ८७७)
Elaboration—The commentator (Vritti) states that everything required in the empire of a Chakravarti is available in these treasures. Acharya Shri Atmamarm ji M. adds that according to the traditional belief each of these great treasures have three sections. First has the seat of the deity, second has the treasure and the third has the collection of books. These books contain all information and knowledge about application and use of these treasures. The subjects covered by these branches of knowledge related to the nine treasures are as follows
(1) Naisarpanidhi-architecture, (2) Panduk-nidhi-mathematics, (3) Pingal-nidhi-beautification and embellishing, (4) Sarvaratnanidhi-- augury, (5) Mahapadmanidhi-textile and dress design and production, (6) Kaal-nidhi-astrology, crafts, technology, agriculture and
engineering, (7) Mahakaal-nidhi-metallurgy, (8) Manavak-nidhi15 politics, administration and law, and (9) Shankhanidhi-drama and
music. (Hindi Tika, part-2, p. 623; Thanam, p. 877) ॐ विकृति-पद VIKRITI-PAD (SEGMENT OF CONTAMINANTS) + २३. णव विगतीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-खीरं, दधिं, णवणीतं, सप्पिं, तेलं, गुलो, महुं, ॐ मज्जं, मंसं।
२३. नौ विकृतियाँ हैं, जैसे-(१) दूध, (२) दही, (३) नवनीत (मक्खन), (४) घी, (५) तेल, ॐ (६) गुड़, (७) मधु, (८)मद्य, (९) माँस।
23. There are nine vikritis (contaminants; food related)-(1) milk, (2) curd, (3) butter, (4) refined butter, (5) oil, (6) jaggery, (7) honey, 9 (8) alcohol and (9) meat..
विवेचन-जो पदार्थ शारीरिक व मानसिक विकार पैदा करते हैं उन्हें यहाँ 'विकृति' कहा है। प्रवचन सारोद्धार वृत्ति गाथा २३५ में बताया है, दूध, दही, घी आदि स्वयं विकृति हैं, तथा इनसे बने पदार्थ भी 5 विकृतिकारक होने से विकृतिगत माने गये हैं। (ठाणं पृष्ठ ८७८)
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Sthaananga Sutra (2)
स्थानांगसूत्र (२) 35555555555555
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