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________________ 口555555555555555555555555555555555555E AFF FFFFFFFFF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 म (३) पिंगलकनिधि में स्त्री, पुरुष, घोड़े और हाथियों के समस्त वस्त्र-आभूषण की विधि का वर्णन है॥४॥ (४) चक्रवर्ती के सात एकेन्द्रिय रत्न और सात पंचेन्द्रिय रत्न, ये सब चौदह श्रेष्ठरत्न सर्वरत्ननिधि से उत्पन्न होते हैं ॥५॥ (५) महापद्मनिधि से रंगे हुए या श्वेत सभी प्रकार के वस्त्रों की उत्पत्ति और निष्पत्ति होती है ॥६॥ (६) काल महानिधि से अतीत और अनागत काल के तीन-तीन वर्षों के शुभाशुभ का ज्ञान, सौ प्रकार के शिल्प, प्रजा के लिए हितकारक सुरक्षा, कृषि और वाणिज्य कर्म आदि की प्राप्ति होती है॥७॥ (७) महाकालनिधि से लोहे, चाँदी तथा सोने के आकर, मणि, मुक्ता, स्फटिक और प्रवाल की उत्पत्ति होती है॥८॥ (८) माणवक महानिधि से योद्धाओं, आवरणों (कवचों) और आयुधों की उत्पत्ति, सर्व प्रकार की युद्धनीति और दण्डनीति की प्राप्ति होती है ॥९॥ (९) शंख महानिधि से नृत्यविधि, नाटकविधि, चार प्रकार के काव्यों तथा सभी प्रकार के वाधों की प्राप्ति होती है ॥१०॥ । प्रत्येक महानिधि आठ-आठ चक्रों पर अवस्थित है। वे आठ योजन ऊँची, नौ योजन चौड़ी, बारह योजन लम्बी और मंजूषा के आकार वाली होती हैं। ये सभी महानिधियाँ गंगा के मुहानों (अग्रभाग) पर स्थित रहती हैं ॥११॥ .उन निधियों के कपाट वैडूर्यरत्नमय तथा सुवर्णमय होते हैं। उनमें अनेक प्रकार के रत्न जड़े होतें हैं। उन पर चन्द्र, सूर्य और चक्र के आकार के चिह्न होते हैं वे सभी कपाट समान होते हैं, उनके दरवाजे के मुखभाग में खम्भे के समान गोल और लम्बी द्वार-शाखाएँ होती हैं ॥१२॥ .ये सभी निधियाँ एक-एक पल्योपम की स्थिति वाले देवों से अधिष्ठित रहती हैं। उन पर निधियों के नाम वाले देव निवास करते हैं। ये निधियाँ खरीदी या बेची नहीं जा सकती हैं और उन पर सदा देवों का आधिपत्य रहता है ॥१३॥ -ये नवों निधियाँ विपुल धन और रत्नों के संचय से समृद्ध रहती हैं और चक्रवर्तियों के वश में ॐ रहती हैं॥१४॥ 22. Every Chaturant Chakravarti has nine mahanidhis (great treasures)-(collative verse) (1) Naisarpanidhi, (2) Panduk-nidhi, fi (3) Pingal-nidhi, (4) Sarvaratnanidhi, (5) Mahapadmanidhi, (6) Kaal- $1 nidhi, (7) Mahakaal-nidhi, (8) Manavak-nidhi and (9) Shankhanidhi. #1# (1) Naisarpanidhi is the source of gram (villages), aakar (settlement near a mine), nagar (city), pattan (harbour), dronmukh (hamlet), madamb (borough), skandhavar (cantonment) and griha (houses). #2# | स्थानांगसूत्र (२) (424) Sthaananga Sutra (2) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002906
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages648
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size20 MB
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