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________________ 四F5听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听。 ब्रह्मचर्य-अध्ययन-पद BRAHAMCHARYA-ADHYAYAN-PAD (SEGMENT OF CHAPTERS ON BRAHAMCHARYA) २. णव बंभचेरा पण्णत्ता, तं जहा-सत्थपरिण्णा, लोगविजओ, (सीओसणिज्जं, सम्मत्तं, आवंती, धूतं, विमोहो), उवहाणसुयं, महापरिण्णा। २. आचारांग सूत्र में ब्रह्मचर्य-सम्बन्धी नौ अध्ययन हैं-(१) शस्त्रपरिज्ञा, (२) लोकविजय, (३) शीतोष्णीय, (४) सम्यक्त्व, (५) आवन्ती-लोकसार, (६) धूत, (७) विमोह, (८) उपधानश्रुत, * (९) महापरिज्ञा। 2. There are nine chapters on brahamcharya in Acharanga Sutra (1) Shastraparijna, (2) Lokavijaya, (3) Sheetoshniya, (4) Samyaktva, (5) Aavanti-Lokasar, (6) Dhoot, (7) Vimoha, (8) Upadhan shrut and (9) Mahaparijna. ब्रह्मचर्य-गुप्ति-पद BRAHAMCHARYA-GUPTI-PAD (SEGMENT OF FENCES OF CELIBACY) ३. णव बंभचेरगुत्तीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-(१) विवित्ताइं सयणासणाई सेवित्ता भवति-णो ॐ इत्थिसंसत्ताई णो पसुसंसत्ताइं णो पंडगसंसत्ताई। (२) णो इत्थीणं कहं कहेत्ता भवति। (३) णो इत्थिठाणाई सेवित्ता भवति। (४) णो इत्थीणमिंदियाइं मणोहराई मणोरमाइं आलोइत्ता णिज्झाइत्ता ॐ भवति। (५) णो पणीतरसभोई [ भवति ? ]। (६) णो पायभोयणस्स अतिमातमाहारए सया म भवति। (७) णो पुव्वरतं पुव्वकीलियं सरेत्ता भवति। (८) णो सदाणुवाती णो रूवाणुवाती णो । सिलोगाणुवाती [ भवति ? ]। (९) णो सातसोक्खपडिबद्धे यावि भवति। ३. ब्रह्मचर्य की नौ गुप्तियाँ (बाड़ें अथवा रक्षा कवच) हैं। जैसे-(१) ब्रह्मचारी एकान्त में शयन और + आसन करता है। जिन आवासों में स्त्री, पशु और नपुंसक रहते हों, वहाँ ब्रह्मचारी को नहीं रहना चाहिए। (२) ब्रह्मचारी विकार उत्पन्न करने वाली स्त्रियों से सम्बन्धित बातें नहीं करता है। (३) ब्रह्मचारी ॐ स्त्रियों के बैठने-उठने के स्थानों पर नहीं बैठता है। जिस स्थान पर स्त्री बैठी हो कम से कम एक मुहूर्त के + तक उस स्थान पर नहीं बैठे। (४) ब्रह्मचारी स्त्रियों के मनोहर रूप और मनोरम इन्द्रियों व अंगोपांगों को नहीं देखे। (५) ब्रह्मचारी प्रणीतरस-घृत-तेलबहुल गरिष्ठ भोजन नहीं करे। (६) ब्रह्मचारी रूखा, सादा ॐ भोजन भी अधिक मात्रा में नहीं करे। (७) ब्रह्मचारी पूर्वकाल में (ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने से पूर्व) भोगे ॥ + हुए भोगों और स्त्रीक्रीड़ाओं का स्मरण नहीं करे। (८) ब्रह्मचारी स्त्रियों के मनोज्ञ शब्दों को सुनने का, सुन्दर रूपों को देखने का और स्त्रियों द्वारा कीर्ति-प्रशंसा की अभिलाषा नहीं करे। (९) ब्रह्मचारी 卐 शारीरिक सुखों में आसक्त नहीं हो। 3. There are nine guptis (fences or shields) of Brahmacharya (celibacy)-(examples) (1) A brahmachari (celibate) sleeps and sits in solitude. A brahmachari avoids residing in abodes where women, 4FFFFFFFFFFFFFFFFF5$$$$$$$$$$$$$55555乐 स्थानांगसूत्र (२) (412) Sthaananga Sutra (2) 8555555555555555555555555558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002906
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages648
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size20 MB
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