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कृष्ण- अग्रमहिषी - पद KRISHNA-AGRAMAHISHI-PAD
(SEGMENT OF CHIEF QUEENS OF KRISHNA)
५३. कण्हस्स णं वासुदेवस्स अट्ठ अग्गमहिसीओ अरहतो णं अरिट्ठणेमिस्स अंतिए मुंडा भवेत्ता अगाराओ अणगारितं पव्वइया सिद्धाओ ( बुद्धाओ मुत्ताओ अंतगडाओ परिणिव्बुडाओ) सव्वदुक्खप्पहीणाओ, तं जहा
५४. वीरियपुव्वस्स णं अट्टवत्थू अट्ठ चूलिया वत्थू पण्णत्ते ।
५३. श्रीकृष्ण वासुदेव की आठ पटरानियों ने अर्हत् अरिष्टनेमि के पास दीक्षा लेकर सिद्धगति प्राप्त
की। उनके नाम हैं
पउमावती य गोरी, गंधारी लक्खणा सुसीमा य।
जंबवती सच्चभामा, रुप्पिणी अग्गमहिसीओ ॥ १ ॥ ( संग्रहणी - गाथा )
५४. वीर्यप्रवाद पूर्व के आठ वस्तु (मूल अध्ययन) और आठ चूलिका - वस्तु हैं।
(१) पद्मावती, (२) गौरी, (३) गंधारी, (४) लक्षणा, (५) सुसीमा, (६) जोबवती, (७) सत्यगाथा, फ्र और (८) रुक्मिणी) (विस्तृत वर्णन देखें - अन्तकृद्दशा में)
53. Eight chief queens of Krishna Vasudev were initiated by Arhat Arishtanemi from householders to homeless ascetics after getting their heads tonsured and they all became perfect (Siddha), enlightened (buddha), liberated (mukta), free of cyclic rebirth (parinivrit) to end all miseries. Their names are ( 1 ) Padmavati, (2) Gauri, (3) Gandhari, (4) Lakshmana, ( 5 ) Susima, (6) Jambavati, ( 7 ) Satyabhama and (8) Rukmini.
54. Viryapravad Purva (one of the subtle canon) has eight Vastu (basic chapters) and eight Chulika-vastu (appendices).
गति - पद GATI - PAD (SEGMENT OF GENUSBS)
५५. अट्ठ गतीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - णिरयगती, तिरियगती, (मणुयगती, देवगती), सिद्धिगती, गुरुगती, पणोल्लणगती, पब्भारगती।
५५. गतियाँ आठ हैं। जैसे- (१) नरकगति, (२) तिर्यग्गति, (३) मनुष्यगति, (४) देवगति, (५) सिद्धगति, (६) गुरुगति, (७) प्रणोदनगति, (८) प्राग् - भारगति ।
55. There are eight gatis (genuses ) - ( 1 ) narak gati (genus of infernal 5 beings ), ( 2 ) tiryanch gati (animal genus ), ( 3 ) manushya gati (genus of 5 human beings), (4) deva gati (divine genus ), ( 5 ) Siddha gati (Siddha genus For status ), (6) Guru gati (natural movement of Paramanu and other
Sthaananga Sutra (2)
स्थानांगसूत्र (२)
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