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things-(1) Dharmastikaya (motion entity), (2) Adharmastikaya (inertia ___entity), (3) Akashastikaya (space entity), (4) disembodied soul..
(5) ultimate particle of matter, (6) shabd (sound), (7) Gandh (smell) and 卐 (8) Vaayu (air). आयुर्वेद-सूत्र AYURVEDA-PAD (SEGMENT OF AYURVEDA)
२६. अट्ठविहे आउब्वेदे पण्णत्ते, तं जहा-कुमारभिच्चे, कायतिगिच्छा, सालाई, सल्लहत्ता, जंगोली, भूतविज्जा, खारतंते, रसायणे।
२६. आयुर्वेद आठ प्रकार का है। जैसे-(१) कुमारभृत्य-बाल-रोगों का चिकित्साशास्त्र। (२) कायचिकित्सा-शारीरिक रोगों का चिकित्साशास्त्र। (३) शालाक्य-शलाका (सलाई) के द्वारा ॐ नाक-कान आदि के रोगों की चिकित्सा का शास्त्र। (४) शल्यहत्था-शस्त्र द्वारा चीर-फाड़ करने का म शास्त्र। (५) जंगोली-सब प्रकार के विषों की चिकित्सा बताने वाला शास्त्र। (६) भूतविद्या-भूत, प्रेत,
यक्षादि से पीड़ित व्यक्ति की चिकित्सा का शास्त्र। (७) क्षारतन्त्र-वाजीकरण, वीर्य-वर्धक औषधियों का फ़ शास्त्र। (८) रसायन-पारद आदि धातु-रसों आदि के निर्माण एवं प्रयोग की विधि तथा उनके द्वार चिकित्सा विधि बताने वाला शास्त्र।
26. Ayurveda (Indian science of medicine and surgery) is of eight kinds-(1) Kaumarabhritya-The part of Ayurveda that deals with nursing, nutrition and cure of ailments of infants (Paediatrics). (2) Kayachikitsa—The part of Ayurveda that deals with the symptoms i and cure of diseases in general. (3) Shalakya (application of needle)The part of Ayurveda that deals with the cure of diseases of eyes, nose and other parts of the upper half of the body. (4) Shalyahatya—The part of Ayurveda that deals with the removal of thorns, cysts etc. or surgery. (5) Jangoli—The part of Ayurveda that deals with the cure for poisons or toxicity. (6) Bhoot-vidya-The part of Ayurveda that deals with warding off evil spirits and pacifying them. (7) Ksharatantra or Baajikaran--The part of Ayurveda that deals with the medicines and tonics for
maintaining and toning up sexual performance. (8) Rasayan-The part of Ayurveda that deals with extracting and formulating medicines from
metallic sources and their application. ॐ अग्रमहिषी-पद AGRAMAHISHI-PAD (SEGMENT OF CHIEF QUEENS)
२७. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अटुग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पउमा, सिवा, सची, ॐ अंजू, अणला, अच्छरा, णवमिया, रोहिणी। २८. ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अगुग्गमहिसीओ # पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हा, कण्हराई, रामा, रामरक्खिता, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुंधरा। | स्थानांगसूत्र (२)
(374)
Sthaananga Sutra (2)
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