________________
卐
y
sparsh (light touch ), ( 5 ) Sheet sparsh (cold touch ), ( 6 ) Ushna sparsh ५
( hot touch ), ( 7 ) Snigdha sparsh (smooth touch) and (7) Ruksha sparsh f (coarse touch). 卐
5 लोकस्थिति-पद LOK-STHITI-PAD (SEGMENT OF STRUCTURE OF UNIVERSE)
卐
卐 १४. अट्ठविधा लोगट्ठिती पण्णत्ता, तं जहा- आगसपतिट्ठिते वाते, वातपतिट्ठिते उदही, (उदधिपतिट्ठिता पुढवी, पुढविपतिट्ठिता तसा थावरा पाणा, अजीवा जीवपतिट्ठिता) जीवा कम्मपतिट्ठिता, अजीवा जीवसंगहीता, जीवा कम्मसंगहीता ।
१४. लोकस्थिति आठ प्रकार की है - ( १ ) वायु (तनुवात) आकाश पर प्रतिष्ठित है । (२) समुद्र (घनोदधि) वायु पर प्रतिष्ठित है । (३) पृथ्वी समुद्र पर प्रतिष्ठित है । (४) त्रस - स्थावर प्राणी पृथ्वी पर 卐 प्रतिष्ठित हैं । (५) अजीव जीव पर प्रतिष्ठित हैं। (६) जीव कर्म पर प्रतिष्ठित हैं। (७) अजीव जीव के द्वारा संगृहीत हैं। (८) जीव कर्म के द्वारा संगृहीत हैं।
卐
卐
卐
卐
卐 14. Lok-sthiti (structure of universe) is eight tiered - ( 1 ) vayu (air) is pratishthit (installed) on akash (space), (2) udadhi or ghanodadhi (dense 5 water) is pratishthit (installed) on vayu, (3) prithvi ( earth) is pratishthit 5 ( installed) on ghanodadhi, (4) sthavar and tras pranis ( immobile and mobile beings) are pratishthit (installed) on ( live on ) prithvi, ( 5 ) ajiva
卐
फ्र
(matter) is pratishthit (installed) on jiva (life), (6) jiva ( living being) is
फ्र
5 pratishthit (installed on ) karma ( 7 ) ajivas are accumulated (samgrahit) फ्र by jiva and (8) jivas are bonded (samgrihit) by karma.
卐
गणिसंपदा - पद GANISAMPAD-PAD (SEGMENT OF WEALTH OF A GANI)
卐
फ्र १५. अट्ठविहा गणिसंपया पण्णत्ता, तं जहा - आचारसंपया, सुयसंपया, सरीरसंपया, वयणसंपया, वायणासंपया, मतिसंपया, पओगसंपया, संगहपरिण्णा णाम अट्ठमा ।
१५. गणी (आचार्य) की सम्पदा आठ प्रकार की है - ( १ ) आचार - सम्पदा - संयम की समृद्धि, 5 (२) श्रुत - सम्पदा - श्रुतज्ञान की समृद्धि, (३) शरीर-सम्पदा - प्रभावक शरीर - सौन्दर्य, (४) वचन - सम्पदावचन- कुशलता, (५) वाचना - सम्पदा - अध्यापन - निपुणता, (६) मति - सम्पदा-हु - बुद्धि की कुशलता, 5 (७) प्रयोग - सम्पदा - वाद -प्रवीणता, (८) संग्रह - परिज्ञा-संघ - व्यवस्था की निपुणता ।
फ्र
55
5 卐
15. Gani sampada (wealth of a gani / acharya) is of eight kinds— 5 (1) Achar sampada -- wealth of ascetic-discipline, (2) Shrut sampada - फ्र wealth of knowledge of scriptures, (3) Sharira sampada -- wealth of 5 physical qualities like impressive personality, (4) Vachan sampadawealth of speech like lucidity, (5) Vaachana sampada-expertise in teaching, (6) Mati sampada-wealth of wisdom, (7) Prayog sampada
स्थानांगसूत्र (२)
Sthaananga Sutra (2)
Jain Education International
(366)
For Private & Personal Use Only
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
फ्र
5
卐
5
5
卐
卐
www.jainelibrary.org