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2. Yoni sangraha (places of origin) are of eight kinds-(1) Andaj, or born from an egg, as are birds, reptiles, etc. (2) Potaj or born as fully formed infants, as are elephants and tigers. ( 3 ) Jarayuj, or placental, isuch as man, cow etc. (4) Rasaj or born out of liquids including milk, fi curd, oil etc. (5) Samsvedaj, or born out of sweat, such as louse, nit, etc. 5 (6) Sammoorchanaj, or of asexual origin, such as worms. (7) Udbhij, or those that burst out of the earth when born, such as khanjanak. (8) Aupapatik, or born instantaneously, such as gods.
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pleasant and unpleasant afflictions. (8) Viryasampanna — an aspirant who is ever enthusiastic in observing the accepted spiritual practices. (Note: All beings in the universe are included in these eight classes) योनि-संग्रह-पद YONI SANGRAHA - PAD (SEGMENT OF PLACE OF ORIGIN)
२. अट्ठविहे जोणिसंगहे पण्णत्ते, तं जहा- अंडगा, पोतगा, [जराउजा, रसजा, संसेयगा, मुच्छिमा], उब्भिगा, उववातिया ।
२. योनि-संग्रह (उत्पत्ति स्थान ) आठ प्रकार का है - (१) अण्डज, (२) पोतज, (३) जरायुज, (४) रसज, (५) संस्वदेज, (६) सम्मूर्च्छिम, (७) उद्भिज्ज, (८) औपपातिक ।
गति - आगति - पद GATI AAGATI - PAD (SEGMENT OF BIRTH FROM AND TO)
३. अंडगा अट्ठगतिया अट्ठागतिया पण्णत्ता, तं जहा - अंडए अंडएसु उववज्जमाणे अंडएहिंतो वा, पोतएहिंतो वा, (जराउजेहिंतो वा, रसजेहिंतो वा, संसेयगेहिंतो वा, संमुच्छिमेहिंतो वा, उभिएहिंतो वा), उववातिएहिंतो वा उववज्जेज्जा ।
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से चेवणं से अंडए अंडगत्तं विप्पजहमाणे अंडगत्ताए वा, पोतगत्ताए वा, (जराउजत्ताए वा, रसजत्ताए वा, संसेयगत्ताए वा, संमुच्छिमत्ताए वा, उब्भियत्ताए वा ), उववातियत्ताए वा गच्छेज्जा । ४. एवं पोतगावि जराउजावि सेसाणं गतिरागती णत्थि ।
३. अण्डज जीव आठ गतिक और आठ आगतिक होते हैं। जैसे
वही अण्डज जीव वर्तमान अण्डज पर्याय को छोड़ता हुआ अण्डजरूप से, या पोतजरूप से, या जरायुजरूप से, या रसजरूप से, या संस्वेदजरूप से, या सम्मूर्च्छिमरूम से, या उद्भिज्जरूप से, या औपपातिकरूप से उत्पन्न होता है।
अष्टम स्थान
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अण्डज जीव अण्डजों में उत्पन्न होता हुआ अण्डजों से, या पोतजों से, या जरायुजों से, या रसजों 5 से, या संस्वेदजों से, या सम्मूर्च्छिमों से, या उद्भिज्जों से, या औपपातिकों से आकर उत्पन्न होता है।
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Eighth Sthaan
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४. इसी प्रकार पोतज भी और जरायुज भी आठ गतिक और आठ आगतिक है। शेष रसज आदि 5 जीवों की गति और आगति आठ प्रकार की नहीं होती है। (विस्तार के लिए देखें - हिन्दी टीका, भाग-२, पृष्ठ ४८२, वृत्ति पत्र ३९५ )
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